काफी दिनों से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के कारण सैफ अली खान की नई फिल्म तांडव का जबरदस्त विरोध हो रहा था। देश के बहुत सारे कट्टरपंथी कह रहे थे कि हिंदू लोग अब देश में अभिव्यक्ति की आजादी नहीं चाहते लेकिन दूसरी तरफ हिंदू समाज का कहना था कि अभिव्यक्ति की आजादी केवल एक धर्म तक सीमित क्यों है दूसरे धर्म की आस्थाओं को भी ठेस पहुंचाया जाना चाहिए?तभी देश धर्मनिरपेक्ष कहलाएगा। लेकिन लगातार कई प्रदेशों में इस फिल्म को निर्मित करने वाले लोगों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई गई, उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश में भी इसी प्रकार का सिलसिला जारी रहा। जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई में 3 जजों की बेंच ने तांडव वेब सीरीज के एक्टर और निर्माताओं की ओर से उनके खिलाफ छह राज्यों में दर्ज एफआईआर को क्लब करने की मांग पर नोटिस जारी किया है। हालांकि, जस्टिस आरएस रेड्डी और एमआर शाह ने अंतरिम जमानत देने की अपील ठुकरा दी।
आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना बयान देते हुए कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी को अनंत नहीं कर सकते।सुप्रीम कोर्ट ने एक्टर मोहम्मद जीशान अयूब, अमेजन प्राइम वीडियो (इंडिया) और तांडव के निर्माताओं को उनके खिलाफ दर्ज कई एफआईआर में गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अग्रिम जमानत या एफआईआर रद्द कराने के लिए वे हाई कोर्ट में गुहार लगाएं। कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी अनंत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला निश्चित रूप से देश में अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कूड़ा परोसने वाले लोगों के लिए एक कड़ा सबक साबित होगा। लगातार कई दशकों से हिंदू समाज की भावनाओं को खिलौना बना कर देश का बॉलीवुड खेलता रहा है वहीं दूसरी तरफ दक्षिण भारत की फिल्मों में हिंदू समाज की आस्थाओं का जिस तरह से सम्मान किया गया है वह स्वागत योग्य भी है।