किसानों ने समय से पहले ही शुरू की परेड, किसानों और पुलिस में हुई झड़प, बसों के तोड़े गए कांच

किसानों को 72 वें गणतंत्र दिवस पर जो समय परेड करने के लिए दिया गया था उस समय से ही पहले किसानों ने परेड प्रारंभ कर दी है। किसान सुबह मंगलवार को पुलिस वालों को पीटते हुए मुकबरा चौक की ओर आगे बढ़े हैं।

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चित्र साभार: ट्विटर @ANI

आज 72 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर जहां पूरा राष्ट्र जश्न मना रहा है। वहीं कई महीनों से आंदोलन करने वाले किसान भी गणतंत्र दिवस पर परेड करने के मूड में दिखाई दे रहे हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से उन्हें इस परेड की अनुमति भी दी है लेकिन एक निश्चित समय तय किया गया है। लेकिन सिंधु बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर उपस्थित किसानों ने समय से पहले ही अपनी तरह को प्रारंभ कर दिया है यह किसान पुलिस वालों के साथ हाथापाई करने के पश्चात मुक़बरा चौक और आगे बढ़े हैं। इसी बीच कुछ किसान आपस में ही भिड़ गए मामले को शांत कराने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दाग दिए। सिंधु बॉर्डर से आने वाले किसानों ने यह मांग की कि उन्हें दूसरे रोड पर जाने दिया जाए लेकिन पुलिस को आदेश थे कि उस रोड पर किसानों को नहीं जाने दिया जाएगा। पुलिस ने जब अपना कर्तव्य निभाया तो किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच मुठभेड़ हुई, बाहर खड़ी हुई कुछ बसों में तोड़फोड़ की गई। तत्पश्चात पुलिस को अश्रु गैस के गोले दागने पड़े।

कुछ युवा किसान परेड के नाम पर सड़कों पर हंगामा करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। डीडीसी बस को तोड़ना तथा बैरिकेड को तोड़ना यह बताता है कि किस तरह से गणतंत्र दिवस के माहौल में भंग डालने की कोशिश की जा रही है।NH -9 एक्सप्रेस वे इस समय पूरी तरह से किसानों के कब्जे में आ चुका है। पुलिस के द्वारा किसानों को इस तक का आदेश दिए गए हैं कि किसान परेड करेंगे लेकिन एक लेन को खाली छोड़ना होगा। जिससे कि सीबीआई एंबुलेंस तथा आपातकालीन वाहनों को आने जाने में कोई भी दुविधा ना हो। पुलिस के द्वारा आदेश दिए गए हैं कि किसी भी ट्रैक्टर पर ऐसे पोस्टर नहीं लगाए जाएंगे जो भड़काऊ हो तथा किसी भी वाहन में ड्रक्स शराब जैसी चीजों को रखा हुआ नहीं पाया जाना चाहिए। परेड के दौरान किसी भी तरह के स्टंट तथा हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। पूरे देश की निगाहें इस समय है राजपथ और किसानों की परेड पर हैं। राजपथ की परेड तो संपन्न हो जाएगी क्योंकि वहां भारतीय सेना की ताकत है क्योंकि वहां अनुशासन है। लेकिन किसानों की यह परेड को देखना होगा कि क्या इसके बाद कोई ऐसी हलचल देश में तो नहीं होती है जिससे देश के स्वाभिमान को ठेस पहुंचे।

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