कश्मीर का अपना एक अलग इतिहास रहा है। धरती पर जीते जागते स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को लेकर विश्व की अवधारणा भले ही अब बदलने लगी हो लेकिन जन्नत का दर्जा प्राप्त कर चुके कश्मीर के हालात और वहां के माहौल से हर कोई वाक़िफ़ है। आए दिन गोलियों और आतंकियों के धमाकों की गड़गड़ाहट से गूंजता कश्मीर आज तक कभी उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाया जहां उसे पहुँचना चाहिए था। लेकिन घाटी से 370 का दर्जा खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद कश्मीर के लोगों में नई उम्मीद जगी है कि घाटी एक नया जन्म लेगी।
कश्मीर को लेकर अकसर सवाल उठते रहे हैं कि घाटी हमेशा से सेना के अधीन रहती है। लेकिन ये भी सच है कि अगर भारतीय सेना कश्मीर में ना हो तो वहां के हालात और बिगड़ सकते हैं। क्योंकि कुछ असामाजिक तत्व, पत्थरबाजों और आतंकियों का सहारा लेकिन कश्मीर में अशांती फैलाने की कवायद में लगे रहते हैं। अलगाववादियों द्वारा कश्मीर के भोले भाले युवाओं को बहला-फुसला कर उनसे पत्थरबाजी करवाई जाती है। लेकिन पत्थरबाजी करने वाले युवाओं को इसका कोई शोक नहीं है। इसी बात को कुछ ही साल पहले अफ्शान आशिक नाम की एक युवा लड़की ने साबित किया था। जो बाद में पत्थरबाजी छोड़ एक पेशेवर फुटबॉलर बनीं और जम्मू कश्मीर के अन्य युवाओं के लिए किसी प्रेरणा बनीं।
कैसे सुर्खियों में आई थीं अफ्शान आशिक
भले ही कश्मीर की अफ्शान आशिक का नाम सुर्खियों में ज्यादा ना रहा हो लेकिन कुछ साल पहले अखबारों में अफ्शाना की एक तस्वीर काफी वायरल हुई थी। वायरल हुई तस्वीर में अफ्शाना मूंह पर कपड़ा बांध कर सेना पर पत्थरबाजी करती नजर आई थीं। देखते ही देखते ये तस्वीर हर जगह वायरल हो गई। बाद में पता चला कि सेना पर पत्थरबाजी करने वाली इस लड़की का नाम अफ्शान आशिक है। अफ्शान से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होनें सफाई देते हुए कहा था कि जम्मू-कश्मीर के हालातों से तंग आकर अफ्शान ने सेना पर पत्थर फेंके थे। इसके बाद खुद तत्कालीन जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती और देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिले और उन्हें हर संभव मदद देने की पेशकश भी की थी।
पत्थरबाज से बनी फुटबॉलर
अफ्शान का फुटबॉल खेलने का सफर 2013 से शुरु हुआ था। अफ्शान अपनी टीम के लिए 24 फुट लंबी और 8 फुट के गोल पोस्ट की गोलकीपिंग करतीं हैं। श्रीनगर स्थित मौलाना आज़ाद वुमेन्स कॉलेज से ग्रेजुएट छात्रा अफ्शान कॉलेज के दिनों से ही फुटबॉल में रूची रखती थीं। जो समय के साथ उनका पैशन बनता चला गया। हालांकि कश्मीर जैसी जगह के साथ एक लड़की का खेल के प्रति रुचि रखना आसान नहीं था। अफ्शान ने समाज के साथ परिवार के भी ताने सहे लेकिन कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। फुटबॉल के प्रति लगन और जज्बे के चलते अफ्शान को साल 2014 में जम्मू-कश्मीर महिला फुटबॉल टीम का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। इतना ही नहीं वो साल 2017 में भारतीय महिला लीग में भी भाग ले चुकीं हैं। अफ्शान खुद इस बात को मान चुकी हैं कि सेना पर पत्थर फैंक कर उन्होनें गलत किया जिसके लिए वह शर्मिंदा भी हैं लेकिन अब अफ्शान का सपना आगे बढ़कर फुटबॉल में भारत का सर गौरव से ऊंचा करने का है।
जल्द बनेगी बायोपिक
आपको जानकर हैरानी होगी कि अफ्शान पर जल्द बायोपिक भी बनने जा रही है। कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी, अफ्शान का किरदार निभाते हुए नज़र आएँगी। जिसका निर्देशन मनीष हरिशंकर करने जा रहे हैं।