जानिए गाय के गोबर से किस तरह भारत होगा आर्थिक रूप से मजबूत, केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी ने किया बड़ा दावा

केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी की ओर से दावा किया जा रहा है कि गोबर और गोमूत्र से उत्पाद तैयार किए जाने से पशुपालकों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा ऐसा होने से गायों को कसाई खाने में जाने से बचाया जा सकेगा।

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चित्र साभार: ट्विटर @pcsarangi

केंद्रीय मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने गाय से जुड़े कई मामलों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि गोबर का इस्तेमाल औद्योगिक उत्पादों में किए जाने से भारत का आर्थिक किया कायाकल्प होगा और इससे गायों को स्लॉटर हाउस में जाने से बचाया जा सकेगा। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया कि गाय के गोबर का उपयोग यदि औद्योगिक उत्पादों के रूप में किया जाएगा तो इससे ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और दूध न देने वाली गाय तथा बैलों को क़त्ल खानों में जाने से बचाया जा सकेगा।

खादी पेंट से पशुपालकों को मिलेगा लाभ

खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग की ओर से गाय के गोबर से बनाए गए प्राकृतिक पेंट की खासियतों के बारे में जिक्र करते हुए सारंगी ने कहा, “इस पेंट का प्रमुख कच्चा माल गोबर है और गोबर होने के कारण यह कटाणु नाशक है… एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से युक्त है साथ ही सस्ता भी है और पूरे देश में इसके उद्योग विकसित होने से पशुपालकों को लाभ मिलेगा।” ओडिशा के बालासोर से सांसद प्रताप चंद्र सारंगी ने गोबर से बने पेंट के बारे में बताया, “इस दिशा में शोध कार्य काफी समय से चल रहा है और एक दो संस्था ने पहले भी प्रस्तुत किया था, लेकिन प्रयोगशालाओं में शोध करके इसका प्रमाणीकरण करने के बाद अब इसे प्रस्तुत किया गया है जो ऑर्गेनिक व नेचुरल पद्धति से तैयार किया गया है। इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ताओं को भी शामिल किया गया है।” उन्होंने कहा है, “हम पूरे देश के गांव स्तर पर इसके हजारों उद्योग लगाएंगे तो कि कम खर्चे पर यह उद्योग लगाया जा सकता है।”

केंद्रीय मंत्री ने बताया इस पेंट की गुणवत्ता के बारे में कहा गया है कि किसी भी प्रयोगशाला में इसकी जांच करने के लिए हम तैयार हैं। केंद्रीय मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी पहले सामाजिक कार्यकर्ता थे और उनका कहना है कि गरीब और किसानों की मदद के लिए गोबर और गौ मूत्र से उत्पाद तैयार करना बहुत जरूरी है। उनका कहना है कि गौ माता को कामधेनु बताया जाता है जो बूढ़ी गाय दूध नहीं देती उसके गोबर और गौ मूत्र से उत्पाद बनाए जाने से एक परिवार का भरण-पोषण हो सकता है। उनका कहना है कि एक गाय के गोबर और गोमूत्र से साल में 40000 से 50000 रूपये की आमदनी हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह दूध नहीं देने वाली गाय भी आर्थिक प्राणी साबित हो सकती है।

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