स्वदेशी वैक्सीन पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहा विपक्ष

विपक्ष के लिए पीड़ा का विषय ये नहीं है कि भारत ने दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कैसे इतनी जल्दी और बेहतर वैक्सीन को तैयार कर लिया है? असल पीड़ा का विषय तो ये है कि कैसे भाजपा सरकार में वैज्ञानिकों ने इतना बेहतर प्रदर्शन कर दिया?

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इस वक्त दुनिया भर के देशों ने कोरोना की वैक्सीन को आम जनमानस तक पहुँचाने का काम शुरू कर दिया है। कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित होने के बाद अब सभी देशों का मकसद यही है कि जल्द से जल्द वैक्सीन लगाकर दुनिया को फिर से पटरी पर लाया जा सके। वैक्सीन बनाने में जहाँ अमेरिका और रूस जैसे विकसित देशों ने सफलता हासिल की है वहीं भारत ने भी कोरोना की वैक्सीन बनाने में बड़ी सफलता हासिल की है। भारत के वैज्ञानिकों ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन नाम की दो कोरोना वैक्सीन का निर्माण किया है। कोविशील्ड जहां असल में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका का भारतीय संस्करण है वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह भारत की अपनी वैक्सीन है जिसे ‘स्वदेशी वैक्सीन’ भी कहा जा रहा है।

भारत में निर्मित दोनो वैक्सीन कोरोना से लड़ने में कारगर, लेकिन विपक्ष को नहीं है इन पर भरोसा

कोविशील्ड को भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया कंपनी बना रही है। जबकि कोवैक्सीन को भारत बायोटेक कंपनी, इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर बना रही है। इन दोनों वैक्सीन का सफल परीक्षण पूरा किया जा चुका है। कोरोना से लड़ने में ये वैक्सीन कारगर भी साबित हो चुकी है। भारत में बनी कोविशील्ड को मंजूरी भी मिल चुकी है। लेकिन, इसके बावजूद कुछ राजनीतिक पार्टियों को भारतीय वैज्ञानिकों की ये सफलता रास नहीं आ रही है। उनके लिए पीड़ा का विषय ये नहीं है कि भारत ने दुनिया के अन्य देशों की तुलना में कैसे इतनी जल्दी और बेहतर वैक्सीन को तैयार कर लिया है? असल पीड़ा का विषय तो ये है कि कैसे भाजपा सरकार में वैज्ञानिकों ने इतना बेहतर प्रदर्शन कर दिया?

इसी पीड़ा को दर्शाते हुए कुछ विपक्षी नेताओं ने तो वैक्सीन लगवाने तक से इंकार कर दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ट्वीट करते हुए कहा कि कोवैक्सीन का अभी तक तीसरे चरण का ट्रायल नहीं हुआ है, बिना सोचे-समझे अनुमति दी गई है जो कि ख़तरनाक हो सकती है।”

शशि थरूर के इस ट्वीट के बाद तो कई और नेता भी वैज्ञानिक बनते नजर आये। किसी ने वैक्सीन लगवाने से ही इंकार कर दिया तो किसी ने तो यहाँ तक कह दिया कि भारत मे बनी वैक्सीन लगवाने से नपुंसकता आ जायेगी।

वैक्सीन को लेकर अफ़वाह फैला रहा विपक्ष- जेपी नड्डा

विपक्ष की इस निचले स्तर की राजनीति का विरोध करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन सामने आए। उन्होंने विरोधियों को करारा जवाब देते हुए कहा, “इस तरह के गंभीर मुद्दे का राजनीतिकरण करना किसी के लिए भी शर्मनाक है। श्री शशि थरूर, श्री अखिलेश यादव और श्री जयराम रमेश कोविड-19 वैक्सीन को अनुमति देने के लिए विज्ञान समर्थित प्रोटोकॉल का पालन किया गया है जिसको बदनाम न करें। जागिए और महसूस करिए कि आप सिर्फ़ अपने आप को बदनाम कर रहे हैं।”

केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट में लिखा, “जो अफ़वाहें फैला रहे हैं वे जान लें कि क्लीनिकल ट्रायल मोड में कोवैक्सीन के लिए ईयूए सशर्त दिया गया है। कोवैक्सीन को मिली ईयूए कोविशील्ड से बिलकुल अलग है क्योंकि यह क्लीनिकल ट्रायल मोड में इस्तेमाल होगी। कोवैक्सीन लेने वाले सभी लोगों को ट्रैक किया जाएगा उनकी मॉनिटरिंग होगी अगर वे ट्रायल में हैं।”

स्वदेशी वैक्सीन है, भारत के लिए बड़ी सफलता

यूरोपीय विकसित देशों के बाद भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जिसने बेहद कम समय मे कोरोना की कारगर स्वदेशी वैक्सीन को तैयार कर के दिखाया है। भारत मे निर्मित वैक्सीन की माँग दुनिया के 70 से अधिक देशों में की जा रही है। यानी कि भारत की स्वदेशी वैक्सीन पर दुनिया भर के लोग भरोसा जता रहे हैं। जो कि निश्चित रूप से हमारे देश के लिए गर्व की बात है। इसके लिये हमारे वैज्ञानिकों की जितनी सराहना की जाए कम है। लेकिन विपक्ष में बैठी राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर भी अपना राजनीतिक लाभ लेने से नहीं चूक रही हैं। स्वदेशी वैक्सीन पर सवाल उठाकर न सिर्फ़ वो हमारे वैज्ञानिकों का अपमान क़र रही हैं बल्कि लोगो मे वैक्सीन को लेकर झूठे भ्रामक प्रचार करने की कोशिश भी कर रही हैं।

भारत में जुलाई 2021 तक 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन देने का है लक्ष्य

भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने इन वैक्सीन को ‘मेड इन इंडिया’ बताते हुए इस पर गर्व करने की बात कही है। बीजेपी प्रमुख जेपी नड्डा ने वैक्सीन का विरोध करने वालो को आड़े हाथों लेते हुए कहा “कांग्रेस और विपक्ष को किसी भी भारतीय पर गर्व नहीं है। उन्हें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि कोविड-19 वैक्सीन पर उनके झूठ का इस्तेमाल निहित स्वार्थी समूहों द्वारा अपने एजेंडा के लिए कैसे किया जाएगा। भारत के लोग इस तरह की राजनीति को ख़ारिज करते रहे हैं और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।”

खैर, विपक्ष का तो काम ही सरकार के किसी भी कार्य पर ऊँगली उठाना। लेकिन इस तरह स्वदेश में निर्मित वैक्सीन पर सवाल उठाना वाक़ई में काफी शर्मनाक कृत्य है। आपको बता दें भारत में बनी स्वदेशी वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद इसे सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों और फ़्रंटलाइन कर्मचारियों को दिया जाएगा। भारत का लक्ष्य 2021 जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को कोरोना का टीका लगाने का है।

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