हमारे देश में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है। भारत का कोई ऐसा ऑफिस नहीं है जहां भ्रष्टाचार न चलता हो। भ्रष्टाचार मिटाने के वादे सिर्फ वादे मात्र हैं लेकिन इन पर एक्शन कोई सरकार आज तक नहीं ले पाई। 2 दिन पहले ही उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक ऐसी घटना घटित हुई जिसमें भ्रष्टाचार की तस्वीर सबके सामने प्रस्तुत की। घटिया माल लगाने के कारण शमशान घाट की दीवार गिरी और उसके कारण 25 लोगों की अकाल मृत्यु हो गई। इसका जिम्मेदार कौन है? इसका निर्णय तो सरकार और प्रशासन करेगा। लेकिन आप यह मान सकते हैं कि 25 लोगों की मौत का कारण भ्रष्टाचार भी है। इसीलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है घटिया माल लगा कर किसी भी इमारत को निर्मित करने के बाद यदि कोई नुकसान होता है तो उसकी भरपाई संबंधित इंजीनियर या संबंधित ठेकेदार से कराई जाएगी।
मुरादनगर में हुई घटना के पश्चात योगी आदित्यनाथ ने अपने भवन में बैठक की तथा इस मामले पर कई निर्देश दिए। सूत्रों के अनुसार अब भविष्य में अगर कभी कोई ऐसी घटना होती है तो संबंधित इंजीनियर और संबंधित ठेकेदारों पर रासुका लगाई जाएगी और परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। परिवारों को मुआवजा देने के लिए संबंधित इंजीनियर और ठेकेदारों से पैसा वसूला जाएगा। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है कि संबंधित इंजीनियर और संबंधित ठेकेदार ही इस भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं अपितु मंत्री से लेकर विधायक और सांसद भी इस भ्रष्टाचार के पात्र रहते हैं।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब आने वाले समय में प्रत्येक जिले में एक टास्क फोर्स का गठन होगा जो निर्माणाधीन सड़क की जांच करेगी। यदि मानक से कम तत्वों इसमें मिले तो इसके लिए डीएम तथा कमिश्नर जिम्मेदार होंगे। जिन लोगों के पास आश्रय नहीं है उन्हें सरकार मकान देगी। निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी बड़े प्रोजेक्ट के लिए कम से कम 3 बार मानक जांच हो और उसके बाद उसकी रिपोर्ट पेश की जाए।