भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा को सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिल चुकी है। तीन में से दो न्यायाधीशों ने सरकार के हक में ये फैसला दिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत नई संसद भवन का निर्माण हो रहा है और बहुत सारे लोगों ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने पर्यावरण कमेटी की रिपोर्ट को भी नियमों के अनुरूप माना है।इस मामले पर जस्टिस एम एन खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना वाली बेंच ने इस मामले पर अपना निर्णय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है, “निर्माण शुरू करने से पहले सरकार हेरिटेज कन्वर्सेशन कमेटी की मंजूरी ले ले। तीनों जजों की बेंच में 2 जजों ने यह फैसला केंद्र सरकार के पक्ष में किया है।जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले पर कुछ अलग विचार रखें।”
हम आपको बता दें कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद भवन का भूमि पूजन कर दिया है। दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था शिलान्यास करने पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय आने तक किसी भी प्रकार की कोई तोड़फोड़, पेड़ गिराना या स्थानांतरित करने जैसा कोई काम नहीं होगा। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस प्रोजेक्ट से 20000 करोड रुपए की बर्बादी नहीं होगी अपितु प्रतिवर्ष 1000 करोड़ रुपए बचेंगे। जो फिलहाल 10 इमारतों में चल रहे अलग-अलग मंत्रालयों के कारण खर्च होते हैं। सॉलिटिसर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा, “वर्तमान संसद भवन गंभीर आग की आशंका और जगह की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। प्रोजेक्ट के तहत हेरिटेज बिल्डिंग को संरक्षित किया जाएगा।”