अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण अगस्त में ही प्रारंभ हो गया था। कोरोना काल में भी राम मंदिर निर्माण का कार्य रुका नहीं, अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा हिंदूवादी संगठनों की ओर से राम मंदिर के लिए धन एकत्रित करने की मुहिम भी चलाई जाएगी। एक तरफ भगवान श्री राम का भव्य मंदिर निर्मित होकर जल्द ही भारतीयता को प्रदर्शित करेगा वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुस्लिम पक्ष को दी गई जमीन पर मस्जिद बनाने को लेकर अब नया विवाद प्रारंभ हो गया है। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दी गई जमीन पर मस्जिद का निर्माण किया जाए वहीं दूसरी तरफ अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस प्रस्तावित मस्जिद को अवैध मानता है।
अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का पक्ष
अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने बुधवार को कहा कि पिछले साल के उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अब अयोध्या में मस्जिद कानून के खिलाफ है और शरिया कानून के अनुसार अवैध है। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक रहे जिलानी ने कहा है कि वह कानून के अनुसार मस्जिद तथा मस्जिद की जमीन की अदला बदली नहीं हो सकती।अयोध्या में बनने वाली यह मस्जिद कानूनों का उल्लंघन करती है और यह शरिया कानूनों का भी उल्लंघन है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड का पक्ष
सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफार फारूकी ने समाचार एजेंसी को बताया कि यह भूमि के टुकड़ों की अदला बदली नहीं है। उन्होंने इंगित किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में धनीपुर गांव की जमीन उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को आवंटित की गई है और बोर्ड ने स्टांप ड्यूटी चुका कर इसे अपने कब्जे में लिया है उन्होंने बताया कि बोर्ड ने इसके लिए 9,29,400 रुपये की स्टांप ड्यूटी चुकाई है उन्होंने बताया कि अब यह संपत्ति वक्फ बोर्ड की है।
झूठ बोल रहे हैं जिलानी: सचिव मस्जिद निर्माण ट्रस्ट
जिलानी के आरोपों का खंडन करते हुए अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए बने एक ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने कहा,”हर व्यक्ति अपने तरीके से शरिया कानूनों की व्याख्या करता है। शरिया कानून की व्याख्या करने की शक्ति कुछ सीमित लोगों के हाथों में नहीं है। मस्जिद नमाज अदा करने की जगह है इसीलिए मस्जिद के निर्माण में क्या गलत है?” जिलानी के आरोपों पर जवाब देते हुए हुसैन ने उन पर गलत सूचना फैलाने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है, “जिलानी साहब एक सक्षम अधिवक्ता है…अगर हम लोग सेंट्रल वक्फ कानून जैसे किसी कानून का उल्लंघन कर रहे हैं तो वह इसे किसी अदालत में चुनौती क्यों नहीं देते?”