बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा सवाल, “जो ट्विटर पर आलोचना करेंगे उन सब पर कार्रवाई करोगे?”

मुंबई हाई कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार से कई प्रमुख सवाल पूछे हैं। हाईकोर्ट ने कहा है, "किसी भी सार्वजनिक दफ्तर को आलोचना सहनी ही पड़ेगी।" कोर्ट ने उद्धव सरकार से पूछा है "क्या जो ट्विटर पर आलोचना करेंगे आप उन सभी के खिलाफ कार्रवाई करेंगे?"

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महाराष्ट्र की उद्धव सरकार अपने तानाशाही रवैया के कारण जानी जाती है। चाहे अर्नब गोस्वामी हो चाहे,एक नेवी के पूर्व अफसर को पीटना हो,चाहे कंगना रनौत का मकान गिराना हो, यह सभी वे मामले हैं जिन्होंने महाराष्ट्र की सरकार को दुनिया के सामने शर्मसार किया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र की सरकार पर कई प्रमुख सवाल दागे हैं। हाईकोर्ट ने कहा है किसी भी सार्वजनिक दफ्तर को आलोचना सहनी ही पड़ेगी। हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा, “पूरे समाज के अधिकारों और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच लोगों को संतुलन बनाना ही पड़ेगा…” हम आपको बता दें कोर्ट ने उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है,”क्या उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो ट्विटर पर कुछ आपत्तिजनक लिखेंगे?”

कोर्ट ने सुनैना होली की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। उनके द्वारा पोस्ट की गई तीन ट्वीट के आधार पर महाराष्ट्र पुलिस ने उन पर अलग-अलग FIR दर्ज की थी। बांद्रा कुर्ला कंपलेक्स साइबर क्राइम डिपार्टमेंट द्वारा रजिस्टर किए गए एक केस में उन्हें अगस्त 2020 में गिरफ्तार भी किया गया था बाद में उन्हें जमानत दे दी गई। उनके वकील ने कोर्ट में अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला दिया था।

हर सार्वजनिक दफ्तर को सुननी होगी आलोचना

उनका कहना था कि उनके क्लाइंट ने बस अपने विचारों को प्रकट करते हुए सरकार की नीतियों की आलोचना की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के सरकारी वकील से पूछा था कि आप कितनों के खिलाफ एक्शन लोगे? सरकारी वकील का कहना था कि पुलिस सुनैना के उद्देश्य की जांच करना चाहती थी। उन्होंने कहा कि यह ट्वीट राजनीतिक दलों के खिलाफ थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि हर सार्वजनिक दफ्तर को यह आलोचनाएं सुनने ही पड़ेगी।

हम आपको बता दें इससे पहले महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करने वाले अपने फेसबुक पोस्ट की वजह से मुंबई के कमाठीपुरा के रहने वाले बालकृष्ण दीकोंडा मुसीबत में पड़ गए थे। मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने उन्हें सीएम और उनकी सरकार की प्रतिष्ठा को खराब करने का आरोप लगाते हुए एक वैधानिक नोटिस भी भेजा था। उन्होंने उद्धव ठाकरे की तुलना धृतराष्ट्र से और आदित्य ठाकरे की तुलना पेंगुइन से कर दी थी। जिसके कारण उन पर 10 लाख का मुकदमा ठोका गया था।

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