मंदिर में नमाज ठीक है… तो मस्जिद में आरती से आपत्ति क्यों?

ये ऐसे धर्मगुरु है जो कि इस तरह की बात उठाने पर ही गला काटने का फतवा जारी करवा सकते हैं। ये कोई काल्पनिक बात नहीं है। हम सभी इन अक्सर मुस्लिम धर्म गुरुओं के मुँह से इस तरह का ऐलान होते सुना है और देखा भी है।

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हमारे देश मे धर्म निरपेक्षता की बड़ी ही अजब परिभाषा निर्धारित कर दी गयी है। धर्म निरपेक्षता की बात करने वाले दार्शनिक जब हिन्दू धर्म की पूज्यनीय गाय को मारा जाता है तो उसे महज एक पशु का नाम देकर शांत रहने की अपेक्षा करते हैं। जब किसी साधु की दिन दहाड़े हत्या कर दी जाती है तो उसे  महज अपराध का नाम देकर मुँह पर टेप लगाकर बैठ जाते हैं। भले ही ये खास धर्म दुनिया भर में आतंकवाद का पर्याय बन चुका है, लेकिन इन बुद्धजीवियों के मुताबिक आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है।

देश में डरकर रहने वाले बुद्धजीवी

जब कोई आतंकवाद को ख़त्म करने की बात करता है तो समाज के इन बुद्धजीवियों को भारत मे रहने से डर लगता है। ये ऐसा देश है जहाँ पर छोटी-छोटी सी बात पर फतवा जारी करने वाले शांतिप्रिय धर्म को देश मे रहने से डर लगता है। ये वही धर्म है और उसी धर्म के बुद्धजीवी लोग है जो की मस्जिद से लाउडस्पीकर हटाने के नाम पर ही गर्दन कलम करने का फतवा जारी कर देता है। ये उसी धर्म के लोग है जो हर शहर में अपना एक खास इलाका बना के रखते हैं और अगर आप इस खास धर्म के नहीं है तो फिर इस इलाके से निडर होकर निकल भी नहीं सकते। ये उसी धर्म के लोग है जो लोग लव जिहाद, आतंकवाद और ना जाने कैसे देशद्रोही कृत्य में सलंग्न रहते है। ये उसी धर्म के लोग है जो खाते तो हिंदुस्तान की थाली में हैं लेकिन गाते पाकिस्तान का गुण है। मात्र 15 प्रतिशत की आबादी में सीमित इस धर्म के लोगो को उस देश मे अपने अस्तित्व का खतरा नजर आता है जहाँ पर इनके पूरी आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है।

मुस्लिम धर्मगुरु के मुताबिक़ मंदिर में नमाज़ पढ़ना, गलत नहीं

ताजा मामला उत्तर प्रदेश की कृष्ण नगरी मथुरा का है। यहाँ के गोवर्धन क्षेत्र में स्थित एक मंदिर में कुछ मुस्लिम समुदाय के युवक पहुँचते हैं और नमाज़ पढ़ना शुरू कर देते हैं। दिल्ली की संस्था ‘खुदाई खिदमतगार’ के सदस्य फैजल खान, मोहम्मद चांद अपने दोस्तों नीलेश गुप्ता और आलोक रत्न के साथ नंदगांव के नंदबाबा मंदिर पहुंचे। वहीं दोनों ने जोहर की नमाज अदा की। ये यहीं पर नहीं रुके बल्कि इन्होंने अपनी नमाज पढ़ते हुए की तस्वीर सोशल मीडिया पर भी शेयर की। अपने इस कृत्य से ये ना जाने क्या साबित करना चाहते थे?

सोशल मीडिया पर फोटो पड़ते ही ये वायरल हो उठी। नंदबाबा मंदिर के पुजारी का आरोप है कि आरोपियों ने धोखे से मंदिर में नमाज पढ़ी थी। इस घटना की शिकायत के बाद मंदिर में नमाज पढ़ने वाले फैजल खान, मोहम्मद चांद और उनके दोस्त नीलेश और आलोक रत्न के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इस पूरे मामले को लेकर संत समाज की मांग है कि मंदिर में नमाज पढ़ने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि ये एक धर्म के लोगों को उकसाने की और उनका अपमान करने कि साजिश है। जबकि कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं के मुताबिक इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन इन्हीं मुस्लिम धर्मगुरुओं से सवाल ये है की, क्या ये अपने मस्जिद में आरती पाठ कराने की अनुमति देंगे? जी..अनुमति देना तो दूर की बात है, ये ऐसे धर्मगुरु है जो कि इस तरह की बात उठाने पर ही गला काटने का फतवा जारी करवा सकते हैं। ये कोई काल्पनिक बात नहीं है। हम सभी इन अक्सर मुस्लिम धर्म गुरुओं के मुँह से इस तरह का ऐलान होते सुना है और देखा भी है।

हर धर्म का हो सम्मान

मंदिर हो मस्जिद हो गुरुद्वारा हो या फिर गिरजाघर हो, सभी पवित्र स्थल हैं और सबकी अपनी-अपनी पवित्रता है। हर धर्म के लोगों को अपने पवित्र स्थल से एक खास लगाव होता है। यह लगाव प्रेम से कहीं अधिक होता है यह आस्था से जुड़ा हुआ होता है और जब किसी के आस्था पर चोंट पहुंचती है तो वह आगबबूला हो जाता है, क्रोधित हो जाता है। इसीलिए हमेशा कहा जाता है कि कभी किसी के आस्था को चोंट नहीं पहुंचानी चाहिए। मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा और चर्च ये सभी इबादतगाहें हैं पूजा स्थल हैं। इन सबका सम्मान करना चाहिए। ठीक उसी तरह सम्मान करना चाहिए जैसे आप एक हिन्दू होकर अपने मंदिर का करते हैं, और जैसे आप मुस्लिम समुदाय के होकर अपने अल्लाह का करते हैं। उसी तरह से आपको दूसरे के धर्म और उनकी आस्था का सम्मान करना चाहिए।

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