गिद्ध स्वच्छता के लिए बहुत महत्वपूर्ण पक्षी होता है ।इसीलिए अभिन्न गिद्धों को बचाने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने एक नई योजना को मंजूर किया है। इसके तहत अगले 5 वर्षों में गिद्धों के संरक्षण पर 207 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके तहत उत्तर प्रदेश के गोरखपुर सहित देश के पांच राज्यों में गिद्धों की नई ब्रीडिंग सेंटर की स्थापना सहित उनके रहवासों के संरक्षण आदि का काम किया जाएगा। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इसके साथ ही नई कार्ययोजना में प्रत्येक राज्य में गिद्धों के संरक्षण के लिए कम से कम एक संरक्षित क्षेत्र स्थापित करने की नई योजना भी बनाई है। प्रत्येक राज्य में गिद्धों को सुरक्षित करने के लिए कई प्रस्ताव भी मांगे गए हैं। वहीं स्थापित होने वाले पांच ब्रीडिंग सेंटरों की स्थापना पर 35 करोड़ रूपये खर्च होंगे। यह सभी सेंटर उत्तर प्रदेश के साथ,त्रिपुरा,कर्नाटक तमिलनाडु और महाराष्ट्र में स्थापित किए जाएंगे।
इसके अलावा मध्यप्रदेश के भोपाल चिड़ियाघर, झारखंड, रानी असम,राजाभातखावा पश्चिम बंगाल, जूनागढ़ गुजरात आदि जगहों में संचालित ब्रीडिंग सेंटरों के संरक्षण की योजना भी बनाई जा रही है। वर्तमान में भारत में गिद्धों 9 प्रजातियां हैं।इनमें 5 प्रजातियां सबसे ज्यादा खतरे में है। मौजूदा वक्त में गिद्धों की कम संख्या ही बची हुई है। गिद्धों की पर्यावरण को स्वच्छ रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हालांकि इनकी मौत मौत की जो बड़ी वजह पाई गई है वह पशुओं को दी जाने वाली दर्द नाशक दवाएं हैं ऐसे में पशुओं की मौत के पश्चात यह उनका मांस खाते हैं और इनकी किडनी फेल हो जाती है जिस कारण इससे गिद्धों की भी मौत हो जाती है। हालांकि इन दवाओं की जहर को पहचानते हुए केंद्र सरकार ने 2004 में गिद्धों के संरक्षण की एक योजना बनाई थी साल 2009 तक की जो योजना चलाई गई ।इस दौरान पशुओं को दी जाने वाली इन दवाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया, लेकिन मौजूदा वक्त में अब यह दवाएं चोरी छुपे बाजार में बिक रही हैं।