भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया प्रधानमंत्री मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में अपना संबोधन भी दिया। प्रधानमंत्री ने युवाओं से कहा, ” विवेकानंद जी की प्रतिमा यहां के हर युवा को राष्ट्र के प्रति श्रद्धा और प्रेम सिखाए, यही स्वामी जी युवाओं में देखना चाहते थे। यह प्रतिमा विजन ऑफ वननेस के लिए प्रेरित करें जो स्वामी जी के चिंतन की प्रेरणा रहा है। यह प्रतिमा देश को यूथ डेवलपमेंट के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करें। जब चारों तरफ निराशा और हताशा थी हम गुलामी के बोझ में दबे थे। तब स्वामी विवेकानंद जी ने अमेरिका की मिशीगन यूनिवर्सिटी में युवाओं से कहा था कि यह शताब्दी आपकी है लेकिन 21वीं शताब्दी निश्चित ही भारत की होगी!”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “विदेश में एक बार स्वामी जी से किसी ने पूछा था कि आप ऐसा पहनावा क्यों नहीं पहनते जिससे आप जेंटलमैन लगे? स्वामी जी ने जवाब दिया था वह भारत के आत्मविश्वास और भारत के मूल्यों से जुड़ा हुआ था! स्वामी जी ने कहा था कि आपके कल्चर में एक टेलर जेंटलमैन बनाता है, हमारे यहां कैरेक्टर तय करता है कि कौन जेंटलमैन है?”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “युवा साथी जो देश की पॉलिसी और प्लानिंग की अहम कड़ी हैं। उनके मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि भारत की आत्मनिर्भरता का मतलब क्या खुद में रमने का है? अपने में ही मगर रहने का है? स्वामी जी ने कहा था कि जो व्यक्ति अपनी मां को सहारा न दे पाए, वह दूसरों की माताओं की चिंता कैसे कर सकता है? हमारी आत्मनिर्भरता पूरी मानवता के भले के लिए है जब जब भारत का सामर्थ्य बड़ा है। तब तब उससे दुनिया को लाभ हुआ है भारत की आत्मनिर्भरता में पूरे संसार के कल्याण की सोच जुड़ी हुई है!”
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा, “आप देश के इतिहास में देखिए जब जब देश के सामने कोई कठिन समस्या आई है। हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं। महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आजादी के लिए लड़े इमरजेंसी के खिलाफ संघर्ष में भी यही हुआ। इस एकजुटता में किसी को भी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था। उद्देश्य राष्ट्रहित था और यह उद्देश्य ही सबसे बड़ा था जब राष्ट्र हित का सवाल हो तो विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से नुकसान होता है। स्वार्थ, अवसरबाद के लिए अपनी विचारधारा से समझौता करना भी सबसे गलत है। ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देने से सबसे ज्यादा नुकसान लोकतंत्र को पहुंचा है। मेरी विचारधारा के हिसाब से ही देश हित के बारे में सोच लूंगा यह रास्ता सही नहीं गलत है!.. आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है, हमारी विचारधारा राष्ट्र हित के विषयों में राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए राष्ट्र के खिलाफ नहीं!”
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