लद्दाख में बदलते मौसम के साथ तापमान गिरता ही जा रहा है, अभी की बात करें तो समूचे लद्दाख में तापमान का पारा शून्य से नीचे जा चुका है। इसके साथ ही इलाके में बर्फीली हवाएँ चलना शुरू कर चुकी हैं, जैसे जैसे महीना बीतेगा सर्द और भी भीषण होती जाएगी।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि इस सर्दी में भी दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने तैनात रहेगी या फिर वापस जाएगी इसका फैसला इस कार्प कमांडर स्तर वाली मीटिंग में हो सकता है।
दोनों देशों के बीच कार्प कमांडर स्तर की आठवे दौर की बातचीत होगी और इसमें मुख्य तौर पर यही बात होगी कि दोनों देशों की तरफ की सेनाएं एक साथ मई, 2020 से पहले वाली स्थित में जाने की शुरुआत करें और सब सामान्य हो।
जानकर मान रहे हैं कि अभी तक जितनी भी मीटिंग हुई है दोनों देशों के अधिकारियों के बीच में उसके परिणामों पर भी समीक्षा हो सकती है।
वैसे भारत अभी तक अपने इस रुख पर कायम है कि एलएसी पर हालात पूरी तरह से मई, 2020 से पहले वाली स्थिति में बहाल होनी चाहिए और इसके लिए दोनो तरफ से सैन्य वापसी एक साथ होनी चाहिए। अगर चीन चाहता है कि भारत रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण इलाकों से सेना वापस करे तो भारत का सीधा सा तर्क है कि चीन को भी पैंगोग झील के आस पास के इलाके से अपनी सेना को तनाव शुरु होने से पहले वाली स्थिति में ले जाना होगा। सैन्य वापसी के मुद्दे पर कुछ बात आगे बढ़ने के बावजूद भारतीय सेना की तरफ से जमीनी स्तर पर निगरानी पहले से भी चौकस कर दी गई है।
अगर चीन अपनी सेना के वापसी पर सहमति नहीं जताता तो भारतीय सेना भी बहादुरी के साथ मुस्तैद रहेगी।