भारत एक ऐसा देश है जिसके बारे में भारत के नागरिकों की अलग-अलग राय है। कुछ लोगों को लगता है कि भारत केवल 200 साल पुराना है कुछ लोग भारत को केवल 800 साल पुराना मानते हैं तो कुछ को लगता है कि भारत आजादी के बाद बना है। लेकिन बहुत सारे लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि विश्व का सबसे प्राचीन और सबसे पुरातन संस्कृति वाला देश भारत हजारों सालों से विश्व की भूमि पर अपने वैभव को बिखेरता रहा है। आज हम सभी आजाद हैं और लगातार भारत के पड़ोसी देशों की ओर से भारत की ओर गलत निगाहें करते हुए हमारे शत्रु हमें तोड़ने का प्रयास करते हैं।
कितने शर्म की बात है कि सरहद पर खड़े हमारे सिपाही हमारे देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देते हैं और वहीं हमारे देश के राजनेता सरकार से अपनी निजी दुश्मनी निकालने के लिए भारत की सेना को तथा भारत के विश्वास को कटघरे में खड़ा करते हैं। कुछ समय पहले कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और नेता राहुल गांधी ने कहा था कि हमारी सरकार होती तो हम 15 मिनट में चीनियों को अपनी भूमि से बाहर कर देते जबकि भारत सरकार का कहना है कि चीन का एक भी सैनिक हमारी भूमि पर पैर नहीं रख पाया क्योंकि हमारे भारतीय सैनिकों ने उसे उसकी भाषा में जवाब दिया। क्या आप जानते हैं इतनी बड़े-बड़े बातें करने वाली कांग्रेस का असली चेहरा क्या है?
भारतीय क्षेत्र का बहुत बड़ा हिस्सा आज चीन के पास है
हम सभी जानते हैं कि 1962 के समय जब भारत और चीन का युद्ध हुआ था तब कांग्रेस का पूरे देश में एकछत्र राज हुआ करता था। उस समय केंद्र में पंडित नेहरू की सरकार थी और पूर्ण बहुमत के साथ में सत्ता पर काबिज थे। लेकिन इस सवाल का जवाब आज तक हमें नहीं मिल पाया कि वह कौन सी समस्याएं रहीं वह कौन सी कमी आ रही जिसके कारण चीन ने भारतीय सीमा में अक्साई चीन के करीब 40000 वर्ग किलोमीटर के हिस्से को हड़प लिया? जिन पर आज भी चीन का अधिकार है। इतना ही नहीं सन 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया। जिसमें आज पीओके का 13300 वर्ग किलोमीटर का दायरा फैला है। 1962 में चीन से भारत की हार केवल भारत की हार नहीं थी अपितु कांग्रेस की नीतियों की हार थी।
भारत की स्थाई सदस्यता को ठुकरा कर चीन को बनाया यूएनओ का स्थाई सदस्य
कांग्रेस के काले कारनामों का चिट्ठा यहीं पर बंद नहीं हुआ जो चीन लगातार भारत को बर्बाद करने की साजिश कर रहा है। यह बताया जाता है कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू की गलती के कारण भारत ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता को ठुकरा दिया था और अपने स्थान पर चीन को उसका स्थाई सदस्य बना दिया था। जिस समय चीन, दुनिया से अलग स्थान पर था तब भी चीन का साथ भारत ने दिया। उस समय जापान ने एक वार्ता की थी जिसमें भारत केवल इस कारण शामिल नहीं हुआ था क्योंकि उसने चीन को आमंत्रण नहीं दिया गया। हमारे देश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जिस प्रकार की नीतियों के साथ चीन अपना जिगरी यार समझा। आज वही चीन हमारी भारतीय सेना और हमारे देश की सीमाओं के लिए शत्रु बनकर खड़ा है। हमारे देश के युवा नेता कहते हैं कि अगर हमारी सरकार होती तो हम चीनी सैनिकों को भारतीय सीमा से बाहर खदेड़ देते।
1951 के समय में चीन ने तिब्बत पर आक्रमण किया और उस पर कब्जा कर लिया। तब से चीन लगातार भारत के लिए एक बड़ा शत्रु बनकर उभरा है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है जब अमेरिका ने तिब्बत पर चीन के कब्जे का विरोध किया, भारत चीन के समर्थन में खड़ा था। लेकिन बदले में चीन ने भारत को क्या दिया? हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा देने वाले हमारे पूर्व प्रधानमंत्री, हमारे सैनिकों की शहादत पर मौन होते चले गए। आज कांग्रेस पार्टी के युवा नेता कहते हैं कि हम अगर सरकार में होते तो 15 मिनट में चीनियों को देश से बाहर फेंक देते!
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