जनसंख्या नियंत्रण कानून ही है भारत की बेरोजगारी और गरीबी को खत्म करने की सबसे असरदार दवा

आने वाले कुछ वर्षों में देश में युवाओं की संख्या घटती जाएगी और उसकी जगह वृद्ध आबादी ले लेगी। ऐसे में ये ही सही वक़्त है जब जनसंख्या नियंत्रण के क्षेत्र में रोजगार सृजन के क्षेत्र में हमारा देश बेहतर कर सकता है। क्योंकि इस वक़्त देश में युवाओं की संख्या ज्यादा है और युवा ही किसी राष्ट्र के भविष्य के निर्माता होते हैं। जाहिर है जनसंख्या नियंत्रण बिल का असर दूरगामी होगा। ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण बिल को लागू करने का ये ही बिल्कुल सटीक समय है।

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साल 2020 ख़त्म होने को है। साल 2021 की शुरुआत के साथ ही भारत की आबादी 138 करोड़ के आँकड़े को भी पार करती नजर आएगी। वहीं एक अनुमान के अनुसार साल 2025 तक भारत जनसंख्या के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ देगा।  जिस दर से भारत में जनसंख्या को वृद्धि हो रही है उसके अनुसार साल 2025 में भारत की जनसंख्या 139 करोड़ के आँकड़े को भी पार करने वाली रहेगी। साल 1975 से लेकर साल 2010 के बीच भारत की आबादी लगभग दोगुनी हो चुकी है।

गौर करने वाली बात ये है की साल 2020 के आँकड़े के अनुसार भारत की 65 प्रतिशत आबादी की उम्र 35 वर्ष से कम है। 50 प्रतिशत आबादी की उम्र 25 वर्ष से भी कम है। इस वक़्त भारत की औसत आयु 29 वर्ष है। इसीलिए आज भारत की गिनती दुनिया के सबसे युवा देश की लिस्ट मे होती है। जबकि दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन की औसत आयु 37 वर्ष है। जबकि साल 2050 तक भारत की आबादी की औसत आयु बढ़कर 37.1 वर्ष हो जाएगी। इसका अर्थ ये है कि आने वाले वर्षों में भारत में युवाओं की संख्या तेजी से घटेगी और उसकी जगह वृद्ध ले लेंगे। इन आंकड़ों को समझना बहुत जरूरी है। क्योंकि यहाँ पर हम बेरोजगारी की बात करने वाले हैं और आगे चलकर हम जनसंख्या नियंत्रण कानून की भी बात करने वाले हैं।

बेरोजगारी है देश की सबसे बड़ी चुनौती

इस वक़्त भारत मे बेरोजगारी का प्रतिशत 8.87% है। यानी कि जो आबादी रोजगार करने में सक्षम है उसमें से 8.87 प्रतिशत लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। अप्रैल 2020 में ये आँकड़ा 23.50 प्रतिशत पर पहुँच चुका था। जो कि निश्चित तौर पर कोरोना महामारी का असर भी था। लेकिन इसके बावजूद भारत जैसे मध्यम वर्गीय देश में बेरोजगारी एक बहुत बड़ा मुद्दा है। हो भी क्यों ना…दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में सभी को रोजगार दिलाना बहुत बड़ी चुनौती का काम है। इसीलिए चुनावों में सभी राजनीतिक पार्टियाँ अधिक से अधिक रोजगार सृजन करने का वादा कर के सत्ता में आने का सपना देखती हैं। लेकिन क्या बिना किसी ठोस कदम के सभी लोगो तक रोजगार मुहैया कराना सम्भव है? जिस देश की 65 प्रतिशत आबादी युवाओं से भरी पड़ी है यानी कि तकरीबन 87 करोड़ युवा हैं, क्या उन सभी के हाथ मे नौकरी रखना आसान है?

वक्त आ गया है जब सरकार को जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देने की जरूरत है

आज हमारे देश के लिए जितनी बड़ी समस्या बेरोजगारी है उससे बड़ी समस्या है बढ़ती जनसंख्या। जनसंख्या वृद्धि और संसाधनों की कमी ही इस देश की सभी समस्याओं की जड़ है। गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी ये सब बढ़ती जनसंख्या का ही परिणाम है। ऐसे में अब वक्त आ गया है जब सरकार को जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देने की जरूरत है। इस वक्त जनसंख्या नियंत्रण कानून ही एक ऐसा विकल्प है जो कि देश को बेरोजगारी, भुखमरी और गरीबी जैसे अभिशाप से मुक्ति दिला सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने किया “जनसंख्या विस्फोट” का जिक्र

साल 2019 के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में “जनसंख्या विस्फोट” शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा, “समाज का वह लघु वर्ग, जो अपने परिवारों को छोटा रखता है, सम्मान का हकदार है। वह जो कर रहा है वह देशभक्ति का कार्य है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये कहना बिल्कुल सही भी था। इसके बाद ही देश में जनसंख्या नियंत्रण बिल लागू करने कि बहस शुरू हो गयी। इस बिल के तहत ये प्रविधान लाया गया कि ‘सरकारी कर्मचारियों को दो से अधिक बच्चे पैदा नहीं करने चाहिए और वैसे गरीब लोग जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित कर देने का सुझाव देता है।’

कुछ राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाया पर प्रभावी कदम

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण के तुरंत बाद ही बीजेपी के नेतृत्व वाली असम सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बनाई गई नीति को लागू भी कर दिया। इसके तहत, “जनवरी 2021 से असम में दो से अधिक बच्चे वाला कोई भी व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होगा।” भारत के अन्य 12 राज्यों में ऐसे ही प्रावधान लागू हैं जो दो-बाल नीति की शर्तों को पूरा न कर पाने की स्थिति में योग्यता व अधिकार से जुड़े प्रतिबंध लगाते हैं। इन प्रतिबंधों में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव लड़ने से लोगों पर रोक लगाना भी शामिल किया गया है। इन राज्यों द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है।

जनसंख्या नियंत्रण बिल ही है सबसे असरदार विकल्प

जिस तरह से भारत की जनसंख्या बढ़ती जा रही है, उस हिसाब से अगर जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं लाया गया तो आने वाले समय मे देश भारी बेरोजगारी और भुखमरी से गुज़र रहा होगा। बेशक इस वक़्त भारत युवाओं के देश के रूप में जाना जाता है, लेकिन आने वाले कुछ वर्षों में देश मे युवाओं की संख्या घटती जाएगी और उसकी जगह वृद्ध आबादी ले लेगी। ऐसे में ये ही सही वक़्त है जब जनसंख्या नियंत्रण के क्षेत्र में रोजगार सृजन के क्षेत्र में हमारा देश बेहतर कर सकता है।

क्योंकि इस वक़्त देश मे युवाओं की संख्या ज्यादा है और युवा ही किसी राष्ट्र के भविष्य के निर्माता होते हैं। जाहिर है जनसंख्या नियंत्रण बिल का असर दूरगामी होगा। ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण बिल को लागू करने का ये ही बिल्कुल सटीक समय है। जो कि भविष्य में हमारे देश को बेरोजगारी, भुखमरी और गरीबी के दंश से दूर रहने में मदद करेगा। जाहिर है, जनसंख्या नियंत्रण बिल का परिणाम दूरगामी है और जिसका व्यापक हमें आने वाली पीढ़ियों के समय मे देखने को मिलेगा। ऐसे में इस वक्त देश के हर राज्य को इस बिल का स्वागत करने की जरूरत है। ताकि जनसंख्या नियंत्रण पर कड़ा प्रहार हो सके। बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी के अभिशाप से देश को जल्द से जल्द मुक्त किया जा सके।

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