एक तरफ पूरे विश्व पर कोरोना संक्रमण का असर पड़ा। लेकिन संक्रमण के बीच जब पूरे विश्व में कई कई बार लॉकडाउन लगा और भारत में भी लॉकडाउन लगा था। उस समय भारत की प्रकृति अपने रूप में वापस आ रही थी। नदिया स्वच्छ हो गई थी वातावरण भी प्रदूषण मुक्त हो चुका था, उद्योग धंधे बंद होने के कारण उनका गंगाजल नदियों में नहीं मिल रहा था। लेकिन अब उत्तर प्रदेश में एक बार फिर प्रदूषण ने एंट्री ले ली है। ताज नगरी कहलाने वाला आगरा, आज फिर प्रदूषण की चपेट में आ चुका है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सोमवार को 190 पर रहा। पर्यावरण विशेषज्ञ इसकी वजह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पराली और शहर में कूड़ा जलाया जाना मान रहे हैं। ताजनगरी में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जगह-जगह कचरे के ढेर लगे थे जिनमें रविवार की रात और सोमवार की सुबह आग लगा दी गई। आगरा प्रदेश के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में आ चुका है।
भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहर
- शहर – एक्यूआई
- भिवाड़ी – 259
- मुजफ्फरनगर – 231
- बुलंदशहर – 229
- मुरादाबाद – 223
- गाजियाबाद – 216
- लखनऊ – 209
- मेरठ – 204
- यमुनानगर – 206
- जींद – 191
- आगरा – 190
एसएन मेडिकल कॉलेज के क्षय एवं वक्ष रोग विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने से सीओपीडी के मरीज बढ़ रहे हैं। डॉक्टर का कहना है कि इस प्रदूषण के कारण बहुत सारे लोगों को स्वास्थ्य संबंधी विकार उत्पन्न हो रहे हैं जिनमें सबसे ज्यादा मरीज सांस के मरीज है। एक तरफ संक्रमण और दूसरी तरफ अब यह समस्या पुराने सांस के मरीजों के लिए बेहद ही खतरनाक है।