उत्तर प्रदेश में लगातार नई राजनीति शुरू हो चुकी है हाथरस प्रकरण में चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। प्रदेश पुलिस के अनुसार हाथरस में युवती के साथ गैंगरेप और मौत की घटना के बाद उत्तर प्रदेश में जातीय दंगे भड़काने की साजिश की जा रही थी। इंटेलिजेंस रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने यह दावा किया है कि घटना के बाद रातों-रात एक वेबसाइट जस्टिस फॉर हाथरस बनाई गई। जिसके जरिए मुख्यमंत्री योगी के गलत बयान दिए जा रहे थे और इससे जुड़ी लोकेशन पर छापेमारी भी की गई। लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया। जिसमें प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने और फर्जी सूचनाओं के जरिए अशांति फैलाने की साजिश रचने के आरोप लगाए गए। वेबसाइट पर स्क्रीनशॉट में ब्रेकिंग न्यूज़ लिखकर मुख्यमंत्री की फोटो के साथ बकायदा उनका फर्जी बयान जारी किया गया। यह सोशल मीडिया अकाउंट पर शनिवार को तेजी से वायरल किए गए एडीजी कानून-व्यवस्था का माहौल खराब करने के लिए फंडिग की है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “अच्छा नहीं लग रहा है वे देश और प्रदेश में जातीय सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं। इसकी आड़ में विकास रुकेगा। दंगे की आड़ में लोगों को राजनीतिक रोटियां सेकने का मौका मिलेगा। इसलिए वे नए-नए षड्यंत्र करते रहते हैं। का कहना है कि साजिश में पीएफआई समेत कुछ संगठनों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है। ऐसे ही फर्जी पोस्ट वायरल कर के पीड़ित की जीब काटने अंग भंग करने और सामूहिक दुष्कर्म जैसी अफवाहों को उड़ाकर प्रदेश में नफरत फैलाने की कोशिश की गई। हजरतगंज इंस्पेक्टर अंजनी कुमार पांडे ने बताया कि मुन्ना यादव के खिलाफ अफवाह फैलाने धोखाधड़ी, कूट रचना, सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम कॉपीराइट अधिनियम, सीएम की तस्वीर का गलत प्रयोग करने के साथ-साथ आईटी एक्ट तथा कॉपीराइट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।