हाथरस में एक युवती के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था। पुलिस प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि इस पूरी घटना में सरकार और प्रशासन ने हमारे साथ अन्याय किया है। हमें न्याय नहीं मिला है। वहीं इस मामले पर कॉंग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी और भीम आर्मी जैसे दल इस मामले को राजनैतिक रंग दे चुके हैं, जो वे चाहते थे। सवर्ण बनाम दलित करके समाजवादी, बसपा, भीम आर्मी और कॉंग्रेस ने इस घटना को राजनैतिक रंग देने में कामयाब हो चुके हैं। क्योंकि आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टियों के पास कोई मुद्दा नहीं है और केवल जातिगत आंकड़ों के आधार पर वे सत्ता में काबिज होना चाहते हैं।
इन दोनों ट्वीट के माध्यम से ही तो सिद्ध हो चुका है कि जितने भी राजनीतिक गिद्ध हाथरस घटना पर राजनीति करने जा रहे हैं, उनकी सोच कितनी गिर चुकी है? इस घटना को राजनीतिक रंग देकर कहीं ना कहीं उस बेटी के साथ अन्याय कर रहे हैं यह लोग। जब यह मामला सामने आया था तब प्रत्येक व्यक्ति यही कह रहा था कि बेटी के साथ बलात्कार हुआ है और उन सभी आरोपियों को फांसी होनी चाहिए। लेकिन जैसे जैसे समय बीता है वैसे वैसे लोग इस पूरी घटना पर शक जता रहे हैं।
पीड़ित परिवार ने CBI जाँच से किया इंकार
यह शक तब और ज्यादा गहरा हो जाता है जब सरकार सीबीआई की बात करती है और पीड़ित परिवार सीबीआई से इंकार कर देता है। पीड़ित परिवार का कहना है कि हम केवल न्याय चाहते हैं सीबीआई हमारी प्राथमिकता में नहीं है। वहीं दूसरी ओर जिन परिवारों के बेटों पर आरोप लगा है कि उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है उनका कहना है कि सीबीआई जांच होनी चाहिए जो भी आरोपी हो, सामने आना चाहिए। उनका कहना है कि हमारे बेटे आरोपी नहीं हैं उन्हें फंसाया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में फिर गर्मायी जातिवादी राजनीति
लगातार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूरी घटना में लापरवाही दिखाई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर कुछ समय पहले ब्राह्मणों का शोषण करने का आरोप लगा था। और अब दलितों के शोषण का आरोप भी लग गया है। यह पूरी घटना मानवता को शर्मसार करने वाली तो है, लेकिन कहीं ना कहीं इस घटना पर शक के निशान देखे जा सकते हैं। पीड़िता की मां के द्वारा अपने बयानों को बार-बार बदलना, सीबीआई से इनकार करना यह सभी ऐसी घटनाएं हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
मिडिया चैनल्स का गन्दा रूप
वहीं इस घटना पर मीडिया चैनल पर जिस तरह से खबरें चलाई जा रही हैं वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी मीडिया चैनल इस पूरी घटना को जातियों में बांट कर देखा है। कई चैनल इस घटना के लिए केवल और केवल सवर्ण वर्ग को जिम्मेदार बता रहे हैं। लेकिन कितनी दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि ये तब नहीं बोलते जब किसी सवर्ण, ओबीसी या किसी अन्य वर्ग की बेटी का बलात्कार होता है। अगर न्याय के लिए जातियां तय की गई तो निश्चित रूप से इस देश में किसी के साथ कोई न्याय नहीं हो सकेगा। बलरामपुर हो, बुलंदशहर हो या फिर हाथरस हो देश के किसी भी हिस्से में यदि यह घटना होती है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है और उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। लेकिन कितने मीडिया चैनल से कितने राजनेता हैं आज तक किसी ऐसी घटना पर गए हो जो सुर्खियों में ना आई हो? उन्होंने कभी जमीन पर उतर कर लोगों के दर्द को महसूस करने की कोशिश नहीं की, लेकिन आज राजनीति करने के लिए भूखे गिद्ध की तरह हाथरस पहुंच गए हैं।
आरोपी परिवारों का पक्ष
आरोपी रामू के पिता का कहना है कि उनका बेटा निर्दोष है FIR होने के 2 दिन बाद उन्हें और उनके बेटे को पुलिस थाने ले गई 20 सितंबर को दोनों को छोड़ दिया गया। मेरे बेटे के खिलाफ थाने में कोई केस दर्ज नहीं है। घटना वाले दिन मेरा बेटा ड्यूटी पर था। निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
वही दूसरे आरोपी रवि के पिता का कहना है कि पुरानी रंजिश के कारण हमें फंसाया जा रहा है। बेटे का कोई लेना-देना नहीं है, मृतका के बाबा से साल 2001 में विवाद हुआ था उसमें रवि जेल गया था। जेल गए लव-कुश की मां का कहना है कि मैं अपने बेटे लव-कुश के साथ शोर सुनने पर मौके पर पहुंची थी। मेरे बेटे ने पीड़िता को पानी लाकर पिलाया और उसके बाद मेरे बेटे को जेल भिजवा दिया गया। मुख्य आरोपी संदीप के पिता का कहना है कि हादसे के वक्त संदीप मेरे साथ गाय को पानी पिला रहा था। पहले मेरे बेटे के खिलाफ जानलेवा हमले की F.I.R. लिखाई गई और बाद में तीन अन्य लोगों के नाम जोड़े गए।