हाथरस गैंगरेप पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा कि- ये कैसा हिंदुत्व है, कि जब एक अभिनेत्री का अवैध निर्माण तोड़ा जाता है तो इसकी जोरदार आलोचना की जाती है लेकिन जब एक लड़की के साथ रेप होता है और उसकी हत्या कर दी जाती है तो चुप रहा जाता है।
राहुल गांधी का पक्ष लेते हुए कहा गया कि, पीड़ित लड़की के परिजनों से मिलने जा रहे राहुल गांधी को प्रशासन ने न सिर्फ रोका बल्कि उनका कॉलर पकड़कर उनसे धक्का-मुक्की करके जमीन पर गिरा दिया। देश के एक प्रमुख विरोधी दल के नेता के साथ ऐसा व्यवहार और अपमान लोकतंत्र का ‘गैंगरेप’ होने जैसा है।
साथ ही लिखा गया है कि राहुल गांधी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष होने के साथ साथ राहुल गांधी महान नेत्री इंदिरा गांधी के पौत्र और जुझारू राजीव गांधी के सुपुत्र हैं। इंदिरा और राजीव गांधी देश की संप्रभुता के लिए शहीद हुए। लेकिन देश के लिए खून छोड़िए, पसीने की एक बूंद भी जिन्होंने नहीं बहायी, ऐसे सत्ताधीशों के आदेश पर राहुल गांधी पर हमला किया गया। ऐसे लोग गांधी परिवार की कुर्बानी को नहीं समझेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए लिखा कि “उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री संन्यासी हैं, वह भगवा कपड़ा पहनकर घूमते हैं, प्रधानमंत्री मोदी तो फकीर हैं लेकिन पीएम मोदी को दुनिया की सर्वोच्च दर्जे की सुरक्षा प्राप्त है। योगी को भी बड़ी सुरक्षा मिली हुई है। अखिलेश सरकार ने एक बार योगी की सुरक्षा हटाई, तब संसद के सभागृह में यही योगी महाराज आंसू बहाने लगे थे। आज वही योगी मुख्यमंत्री हैं लेकिन अबलाएं और माताएं सुरक्षित नहीं हैं। बलात्कार की शिकार हुई अबला की लाश को पुलिस पेट्रोल डालकर जला रही है। यह नराधमी कृत्य हिंदुत्व की किस परंपरा के अंतर्गत आता है? लाश का अपमान नहीं किया जाना चाहिए, लाश का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार किया जाना चाहिये।
सामना लिखता है कि मुंबई में सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की या खून हुआ, इस पर भाजपा प्रवक्ताओं ने चैनलों पर खूब चर्चा की। लेकिन हाथरस में एक कन्या से बलात्कार हुआ ही नहीं, इसके लिए सब लोग अब अपना वाक कौशल दिखा रहे हैं। यह शर्मनाक है। पीड़िता ने कैमरे के सामने बताया कि बलात्कार हुआ है। मृत्यु पूर्व दिए गए उस बयान का कोई मतलब नहीं है क्या? उस लड़की की इज्जत की रक्षा नहीं की जा सकी और उसकी जान भी नहीं बचाई जा सकी।
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