साल 2014 में सत्ता में आने के बाद केंद्र की मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाती दिखी है। आतंकवाद को जड़ से मिटाने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का सबूत तो हम सबने देखा है। पाकिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद का मोदी सरकार हर स्तर पर कड़ी प्रतिक्रिया देती नजर आयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहाँ समझौते और बातचीत के रास्ते से आतंकवाद पर लगाम लगाने पर जोर देते दिखे हैं, वहीं समय आने पर वो सख्ती से भी आतंकवाद से निपटने का संकेत दे चुके हैं। शांति और समझौते की बात करने वाली मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर के आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब भी देना जानती है।
इसके साथ ही कश्मीर में पत्थरबाजों पर लगाम लगाने के लिये और घाटी में वर्षों से पनप रहे आतंकवाद को नेस्तनाबूत करने के लिए भाजपा सरकार ने कश्मीर से धारा 370 हटाने का राजनीतिक कदम भी आतंक के आकाओं पर कड़ा प्रहार साबित हुआ है। कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद से आतंकी हरकतों में काफी कमी देखने को मिली है। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो इस साल 1 जनवरी से लेकर 15 जुलाई तक के बीच कुल 67 कश्मीरी युवाओं ने आतंकी संगठनों का दामन थामा है। जबकि पिछले साल धारा 370 हटने से पहले ये आंकड़ा 105 था। कश्मीर से धारा 370 साल 2019 में 5 अगस्त को हटाया गया था। यानी कि धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में आतंक पर लगाम लगी है। इसके लिये हमें केंद्र सरकार की तारीफ करनी होगी।
भारत मे तेजी से पैठ बना रहे आतंकी संगठन
सरकार द्वारा आतंकवाद को खत्म करने के लिए हर सम्भव कदम उठाया जा रहा है। लेकिन इसके बावजूद आतंकी संगठनों के कदम रुकने को तैयार नहीं हैं। आतंकी संगठनों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाने के बावजूद भी आतंकी संगठन भारत में लगातार पांव पसारने में लगे हुए हैं। 1 मार्च 2020 को भारत सरकार द्वारा भारत में सक्रिय कुल 42 आतंकी असंगठनों पर बैन लगाया गया है। लेकिन इसके बावजूद भारत में आतंकी संगठनों का असर कम होते नहीं दिख रहा है। दूसरी तरफ़ अब आतंकी संगठन कश्मीर से निकलकर देश के दूसरे हिस्सों में अपनी पकड़ मजबूत करते नजर आ रहे हैं।
चिंता का विषय ये है कि भारत में अब सिर्फ पाकिस्तान से पनपने वाले आतंकी ही नही बल्कि अन्य देशों के भी आतंकी संगठन अपनी पकड़ मजबूत करते नजर आ रहे हैं। जिनका निशाना कश्मीर की आजादी और वहाँ के युवा नहीं हैं, बल्कि पूरे देश मे ये अपना नेटवर्क फैला रहे हैं। बीते 25 जुलाई को यूएन की तरफ़ से भारत सरकार को आगाह किया गया कि भारत के कर्नाटक और केरल राज्य में काफी संख्या मे ISIS के आतंकी मौजूद हैं। यूएन की तरफ़ से ये भी कहा गया कि अलक़ायदा के 150 से 200 आतंकी जो कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में मौजूद हैं, वो जल्द ही आतंकी हमला करने का प्लान बना रहे हैं।
घर के भेदियों पर लगाम लगाना, सरकार की बड़ी चुनौती
भारत सरकार द्वारा भी इस बात को स्वीकारा जा चुका है कि भारत के 12 राज्यों में ISIS के आतंकी एक्टिव हैं। जिसमे केरल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना प्रमुख हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, दिल्ली और गुजरात में भी ISIS अपनी पैठ मजबूत करता दिख रहा है। अभी अगस्त महीने में ही दिल्ली से एक ISIS आतंकी को गिरफ्तार किया गया था जो कि अयोद्धा में बड़े आतंकी हमले की प्लानिंग कर रहा था। इससे पहले भी कभी गुजरात से तो कभी केरल से तो कभी कर्नाटक में ISIS के आतंकियों के पकड़े जाने की खबरे सुनने में आती रही है।
चिंता की बात ये है की ये आतंकी कहीं दूसरे देश से आये हुए नहीं हैं बल्कि ये हमारे देश के ही युवा हैं जिन्हें आतंकी संगठन ब्रेन वॉश कर के अपने नापाक मंसूबों के लिए इस्तेमाल करते हैं। अभी तक सिर्फ कश्मीर के ही युवाओं के बहकावे में आने की खबर आती थीं। लेकिन अब ISIS और अलकायदा जैसे संगठनों के लोग पूरे भारत के युवाओं को अपने निशाने पर लेने लग गए हैं। बीते कुछ सालों में भारत सरकार आतंक के खिलाफ़ मोर्चा खोले हुए हैं। लेकिन अभी भी आतंक को जड़ से ख़त्म करने के लिए भारत सरकार को काफी लंबा सफर तय करना है। सबसे बड़ी चुनौती देश के भीतर ही मौजूद लोगों को गुमराह होने से रोकना है।