भगत सिंह: एक देशभक्त क्रान्तिकारी, जिसने देश की आजादी के लिए खेतों में बंदूके बोईं और दिल में बारूद उगाया

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भारत बहुत समय तक अंग्रेजों के अधिकार में रहा और अंग्रेजों ने भारतीयों पर बहुत सारे अत्याचार किए। लेकिन यह कहा जाता है कि हर अत्याचार के समय कोई ना कोई व्यक्ति या कोई ना कोई देवी स्वरूपा स्त्री इस धरती पर आती है जो हमारे देश को और हमारे समाज के लोगों से बचाती है। चाहे मंगल पांडे हो, चाहे लक्ष्मीबाई, चाहे चंद्रशेखर आजाद और चाहे सुभाष चंद्र बोस लेकिन सभी में एक और नाम शामिल है जिसके बिना आजादी के स्वप्न को साकार नहीं किया जा सकता था और वह नाम है शहीद ए आजम भगत सिंह का!

“अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं,
सर कटा सकते हैं पर सर को झुका सकते नहीं!”

शहीदे आजम भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पाकिस्तान के लायलपुर जिले में हुआ था। 13 अप्रैल 1919 अमृतसर में जलियांवाला बाग कांड हुआ जिस में न जाने कितने निरपराध बच्चे और महिलाओं की अकाल मृत्यु हो गई। इसी जलियांवाला बाग कांड ने भगत सिंह के हृदय में आजादी की क्रांति का बीज बो दिया। पढ़ने लिखने के अलावा उनमें देश के प्रति भावनाएं बढ़ने लगी और किशोरावस्था में पहुंचते-पहुंचते बे समाजवादी सोच के प्रति समर्पित हो गए और धीरे-धीरे कुछ संगठनों से भी जुड़ गए।

1928 में लाहौर में साइमन कमीशन का विरोध करने के लिए जब लाला लाजपत राय पर लाठियां बरसाई गई और लाला लाजपत राय शहीद हो गए। लाला लाजपत राय ने तब कहा था, “मेरे पीठ पर पड़ने वाली एक एक लाठी का प्रहार अंग्रेजों की ताबूत में आखिरी कील साबित होगी!” उस समय लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए शिवराम राजगुरु सुखदेव ठाकुर और चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर भगत सिंह ने सांडर्स को गोली मार दी। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु सुखदेव, सुभाष चंद्र बोस, महारानी लक्ष्मी बाई, मंगल पांडे जैसे राष्ट्र भक्तों को देखकर यही कहा जा सकता है।

“अपनी लाशों से हम तारीख को आजाद रखेंगे,,
बो लड़ाई होगी कि अंग्रेज याद रखेंगे !”

भगत सिंह से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें!

1. जिस प्रकार युवाओं को फिल्में देखना पसंद होता है ठीक उसी प्रकार भगत सिंह को भी फिल्में देखना पसंद था और वे चार्ली चैप्लिन की फिल्में देखा करते थे। यह कहा जाता है कि अपना खर्च निकालने के बाद उनके पास जो पैसे बचते थे उनसे वह चार्ली चैप्लिन की फिल्में देखा करते थे!

2. भगत सिंह के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह खाने-पीने के भी शौकीन थे! मीठे में उन्हें सबसे ज्यादा रसगुल्ला पसंद था जब भी उन्हें रसगुल्ला खाने का मन होता था तब भी अपने दोस्तों के साथ रसगुल्ला खाने जाया करते थे।

3. यह कहा जाता है कि जब भगत सिंह का जन्म हुआ था तब भगत सिंह के माता पिता चाहते थे कि अपने बेटे की कुंडली बनवाई जाए और अपने बेटे के भविष्य के बारे में जाना जाये! तब पंडित ने भगत सिंह के माता-पिता को बताया कि यह बच्चा आगे चलकर खूब नाम कमाएगा, ऊंचे पद पर जाएगा और इसके गले में एक सम्मानित चीज पहनाई जाएगी। और वही हुआ 23 मार्च 1925 को उन्हें फांसी दी गई और फांसी का फंदा भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के लिए बहुत फख्र की बात हुआ करती थी।

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