भारतीय जनता पार्टी नेता और पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह का सुबह 6:55 पर कार्डिक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। 82 साल के पूर्व मंत्री पिछले 6 साल से कोमा में थे। उन्हें 25 जून को आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। प्रधानमंत्री मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें याद करते हुए कहा, ” जसवंत सिंह पहले एक सैनिक के रूप में देश की सेवा की, राजनीति के साथ लंबे वक्त तक जुड़े रहे। अटल जी की सरकार में उन्होंने महत्वपूर्ण विभाग संभाले और वित्त रक्षा तथा विदेश मामलों में क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी। उनके निधन से दुखी हूं !..उन्हें राजनीति और समाज के विषय पर अनूठे नजरिए के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने बीजेपी को मजबूत करने में भी योगदान दिया मैं हमेशा हम दोनों के बीच हुई बातचीत को याद रखूंगा। ”
जसवंत सिंह 1980 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व वाली सरकार में उन्होंने 1996 से 2004 तक रक्षा विदेश और वित्त जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाला था। 1998 में वाजपेई सरकार में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया 2000 में उन्होंने भारत के रक्षा मंत्री का कार्यभार संभाला और 2002 में यशवंत सिन्हा के स्थान पर उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया। 2004 में सत्ता से बाहर होने पर जसवंत सिंह ने 2004 से 2009 तक लीडर आफ अपोजिशन के तौर पर अपनी सेवाएं दी। जसवंत सिंह भारत के लंबे समय तक सेवारत सांसदों में से एक रहे। जिनके पास 1980 या 2014 के बीच लगातार दोनों सदनों में से किसी एक की सदस्यता रही है। भाजपा की टिकट पर राज्यसभा सांसद बने 1980,1986, 1998 1999 और 2004 तक लोकसभा सांसद भी रहे।
यशवंत सिंह मोहम्मद अली जिन्ना पर लिखी अपनी किताब की वजह से 2009 में भाजपा से निकाले गए थे। कहा जाता है कि जिन्ना इंडिया पार्टीशन इंडिपेंडेंस किताब में उन्होंने जिन्ना को एक तरह से धर्मनिरपेक्ष बताया था। इसके अलावा सरदार पटेल पंडित नेहरू को भारत-पाकिस्तान के विभाजन का जिम्मेदार बताया था। 2010 में भाजपा में जसवंत की वापसी हुई 2012 में भाजपा ने उन्हें उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया, लेकिन यूपीए के हामिद अंसारी के हाथों उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा! 2014 में उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया गया, उनकी बाड़मेर सीट से भाजपा ने कर्नल सोनाराम चौधरी को उतारा जिसके बाद जसवंत ने भाजपा छोड़ दी निर्दलीय चुनाव लड़ा। लेकिन हार गए और इसी साल उनके सर में चोट लग गई जिसके बाद में निरंतर कोमा में रहे।