किसान बिल के बाद क्या होगा बिहार का माहौल, क्या NDA को मिलेगा प्रचंड बहुमत

किसान बिल के बीच भारतीय जनता पार्टी और पूरा एनडीए गठबंधन बिहार में अपना प्रचंड बहुमत पाने के लिए सभी कोशिशें कर रहा है। क्योंकि बिहार का बड़ा हिस्सा कृषि से संबंध रखता है इसीलिए इस अधिनियमों का बिहार पर भी काफी गहरा असर पड़ेगा।

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भारतीय राजनीति में चुनाव एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। हालांकि भारतीय राजनेताओं ने केवल चुनाव को ही लोकतंत्र बना दिया है जबकि चुनाव लोकतंत्र का केवल एक हिस्सा है। चुनाव के लिए भारत के अनेकों दल अपनी ताल ठोकते हैं, परंतु उनमें से कोई एक दल ही सत्ता पर काबिज हो पाता है। पिछले 10 सालों में लगातार यह देखा गया है कि सत्ता पर केवल एक पार्टी ही अपनी पकड़ बना पाती है बाकी सभी दल मिलकर केवल उसका विरोध करते रह जाते हैं। हालांकि अभी फिलहाल में लोकसभा और राज्यसभा में पारित हुआ किसान बिल, जिसका सीधा असर कृषि पर आधारित लोगों पर पड़ रहा है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को बिहार में उस तरह की जीत मिल पाएगी जिसका अंदाजा प्रधानमंत्री मोदी लगा रहे हैं।

क्योंकि लगातार विपक्ष भाजपा सरकार पर यह आरोप लगा रहा है कि भाजपा की सरकार रोजगार विरोधी है!.. किसान विरोधी है !..दलित विरोधी है!.. अल्पसंख्यक विरोधी है। ऐसे में इतने सारे आरोपों का विरोध झेलते हुए अब भाजपा को यह सिद्ध करना होगा कि वह किसान समर्थक है, और देश में मोदी, प्रदेश में नीतीश कुमार की आवश्यकता है! हालांकि अभी तक की चुनावी सरगर्मियां को देखते हुए अंदाजा तो लगाया जा सकता है कि महागठबंधन का मुख्यमंत्री किसी भी प्रकार से बिहार में नहीं बनेगा। जीत का चेहरा तो नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सर पर ही बंधेगा !

लेकिन इसी बीच बिहार से ऐसी खबर आ रही है जिसके लिए बिहार की राजनीति को अलग निगाहों से देखा जा रहा है। बिहार के दो युवा नेता कन्हैया कुमार और प्रशांत किशोर इस समय पूरे चुनाव में कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे हैं। कुछ समय पहले जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर ने बिहार को विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। यह लग रहा था कि प्रशांत किशोर 2020 के विधानसभा चुनाव में प्रभावी भूमिका निभाएंगे लेकिन वर्तमान स्थिति में प्रशांत किशोर की कोई भी भूमिका नजर नहीं आ रही है!

वहीं दूसरी ओर जेएनयू प्रसंग से सुर्खियों में आए कन्हैया कुमार जिन्होंने बेगूसराय से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था और गिरिराज सिंह ने उन्हें भारी मतों के साथ हराया। वे भी आजकल बिहार विधानसभा चुनाव में सक्रिय नहीं दिखाई दे रहे हैं। 2020 के शुरुआत में कन्हैया कुमार ने बिहार का दौरा तो किया था लेकिन उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी।

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