सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का मामला अब काफी आगे बढ़ चुका है। शिवसेना और कंगना के बीच चली जुबानी जंग के बाद अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। लगातार ये आवाज उठती रही थी कि जब उत्तर प्रदेश हिंदीभाषी प्रदेश है तो फिर हिंदी सिनेमा उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं है? उत्तर प्रदेश में हुनर है, ताकत है, जगह है फिर भी उत्तर प्रदेश के हुनर को सम्मान क्यों नहीं मिल पाता है? वहीं दूसरी ओर मुंबई फ़िल्म जगत पर अब कुछ परिवारों और कुछ लोगों का कब्जा हो गया है। बो जिसे चाहते हैं उसे आगे बढ़ाते है जिसे नहीं चाहते उसे बर्बाद कर देते हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ये निर्णय लिया है कि अब उत्तर प्रदेश में बेहतरीन फ़िल्म सिटी का निर्माण किया जायेगा। इसके आदेश यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दे दिए हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक पत्र में फ़िल्म सिटी के लिए यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र के सेक्टर 21 में औद्योगिक भूखंडों के लिए 780 एकड़ और व्यवसायिक भूखंड के लिए 220 एकड़ भूमि उपलब्ध है। यानि कुल 1000 एकड़ भूमि उपलब्ध है। फिल्मकार मधुर भंडारकर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से रविवार को इस मामले को लेकर मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों के बीच गौतमबुद्ध नगर जिले में देश में सबसे बड़े और सबसे खूबसूरत फ़िल्म सिटी बनाने की बात हुई थी । इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिल्म निर्माताओं को एक ऐसा सिक्का दिया था जिस पर भगवान राम की तस्वीर उकेरी गई है अभी इसके साथ ही उन्होंने फिल्म निर्माता को रामचरितमानस की एक प्रति भी पुरस्कार के रूप में दी।
यूपी सरकार की नई पहल के सिलसिले में मुंबई शहर के फिल्म निर्माताओं और कार्यकारी निर्माताओं से बात की तो अधिकतर ने फिल्म सिटी बनाने के एलान को बहुत ही साहसी कदम बताया। महाराष्ट्र की शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार का हवाला देते हुए ये लोग खुलकर तो कुछ नहीं कहना चाहते हैं लेकिन मानते हैं कि मुंबई शहर का आधारभूत ढांचा इस शहर की जरूरतों का दबाव झेल पाने में विफल हो चुका है। और लगातार यह भी देखा गया है कि महाराष्ट्र में जो फिल्म जगत है वो किसी दबाव में काम करता है। चाहे वे कुछ अभिनेताओं का दबाव हो या फिर कुछ और ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम बहुत ही स्वागत योग्य है।