परिंदा भी जहां पर नहीं मार सके, वहां जाकर भी हम ने तिरंगा फहराया है, कहानी डॉक्टर सोल्जर्स की

भारतीय सेना के सैनिक लेह लद्दाख में किन परिस्थितियों में रहते हैं, यह देशवासियों को भी नहीं पता है। आइटीबीपी के डॉक्टर बताते हैं कि जब सैनिकों को इंजेक्शन देने के लिए दवाई निकाली जाती हैं तब वे बर्फ बन चुकी होती हैं।

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हम सभी जानते हैं कि किसी भी देश की सबसे बड़ी ताकत होता है – उनकी सरहद पर खड़ा हुआ उनका सिपाही जो प्रतिदिन यह निश्चित करता है कि मैं रहूं या ना रहूं मगर मेरे वतन के लोगों को किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। लेकिन हम लोग यह नहीं जानते कि वह किस परिस्थिति में रहकर हमारे देश की सुरक्षा करते हैं। लेह लद्दाख एक ऐसा इलाका है जहाँ माइनस 50 डिग्री में पानी तो पानी, शरीर का खून भी जम जाता है।

आइटीबीपी के डॉक्टर बताते हैं कि माइनस 50 डिग्री तापमान में सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि नसों में बहने वाला खून भी जम जाता है। खून अचानक गाढ़ा होने लगता है जो जानलेवा तक साबित हो जाता है। कभी सिर दर्द, कभी हार्ट अटैक और कभी ब्रेन स्ट्रोक जैसी खतरनाक बीमारियां इसके कारण जन्म लेती है। ऐसी हालत में भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए और उनकी सुरक्षा के लिए तैनात होती है आईटीबीपी की मेडिकल टीम।

आइटीबीपी की डॉक्टर कात्यायनी ने दैनिक भास्कर को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि जवानों को कैसी भी दिक्कत हो हम तुरंत उनका ब्लड प्रेशर चेक करते हैं। हीमोग्लोबिन भी चेक करते हैं और इन दिनों हम कोरोना में कड़े से कड़े प्रोटोकॉल फॉलो कर रहे हैं। 14 दिन के क्वॉरेंटाइन के अलावा हमारी जांच बहुत सख़्त हो गई है। उन्होंने बताया कि लद्दाख में तो पॉजिटिव केस मिल चुके हैं और वह नहीं चाहती कि किसी भी तरह लापरवाही हमारे लिए समस्या उत्पन्न करें। आइटीबीपी की हर महिला डॉक्टर को हर 6 महीने में फिजिकल टेस्ट देना होता है, जिसमें 3.2 किलोमीटर की दौड़, रोप क्लाइंबिंग, जंप, फायरिंग सब कुछ शामिल होता है, इसके बाद ही वे डॉक्टर सोल्जर बन पाती हैं।

Image Source: Tweeted by @ANI_digital

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