14 सितंबर 2020 का दिन दिल्ली की रेल पटरियों के किनारे रहने वाले 2 लाख लोगों के लिए एक राहत भरी शाम लेकर आया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि फिलहाल किसी झुग्गी को नहीं हटाया जाएगा। वही रेलवे के अलावा केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मिलकर लोगों के लिए विकल्प तलाशने पर बात की जाएगी। इसका अर्थ यह है कि झुग्गियों में रहने वाले लोगों को किसी अन्य स्थान पर रहने के लिए मकान दिए जाएं। सोमवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी किसी भी झुग्गी को नहीं हटाया जाएगा।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों रेलवे को 3 महीने के भीतर झुग्गियों को हटाने का निर्देश दिया था। इसके तहत दिल्ली में रेल पटरियों के किनारे 840 किलोमीटर रूट पर स्थित 48000 झुग्गियों को 3 महीने के दौरान हटाना था इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा था कि कोई भी झुग्गियों को हटाने के आदेश पर स्टे नहीं देगा और ना ही राजनीतिक हस्तक्षेप करेगा।
वहीं कांग्रेस का कहना था कि इन झुग्गियों में दो लाख से ज्यादा लोग रहते हैं और इनमें ज्यादातर बच्चे और महिलाएं हैं। पिछले कुछ दशकों में रेल की पटरियों के किनारे 50,000 झुग्गियां बस गई हैं। रेलवे से जुड़े अधिकारियों की मानें तो उनकी 5,98,798 वर्ग मीटर जमीन पर झुग्गी बस्तियों को कब्जा है। एक ओर इस मामले पर आम आदमी पार्टी भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर है तो वहीं भाजपा दिल्ली की केजरीवाल सरकार से खाली पड़े 52 हजार फ्लैट झुग्गी वालों को देने के लिए मांग कर रही है।