दिन प्रतिदिन दिल्ली दंगों पर से पर्दा हटता जा रहा है और यह साबित होता जा रहा है कि दिल्ली दंगा कोई अचानक हुई हिंसा नहीं थी। बल्कि दिल्ली दंगा एक पूर्व नियोजित षडयंत्र था जिसके तहत समाज के बहुत बड़े वर्ग को समाज के एक बहुत बड़े वर्ग के खिलाफ खड़ा किया गया। “दिल्ली दंगों का मुख्य आरोपी आम आदमी पार्टी का पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन यह स्वीकार कर चुका था कि इस दंगे का मक़सद केवल और केवल मोदी सरकार के खिलाफ अल्पसंख्यक समाज को खड़ा करना तथा हिंदुओं को सबक सिखाना था!” लेकिन धीरे-धीरे इन दंगों में कई ऐसे लोगों के नाम सामने आने लगे हैं जिनके नाम सुनने के बाद निश्चित रूप से इस दंगे को साजिश कहा जा सकता है। दिल्ली दंगों के केस में पुलिस की चार्जशीट में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयती घोष, दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर अपूर्वानंद और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर राहुल रॉय का नाम सामने आया है। पुलिस ने कहा कि यह लोग आरोपी नहीं है बल्कि एक अन्य आरोपी के बयान के कारण इनका नाम लिखा गया है।
एजेंसी के अनुसार दिल्ली दंगों के आरोपी देवांगना, कलिता, नताशा नरबल और गुलफिशन फातिमा ने अपने बयानों में योगेंद्र, जयंती, अपूर्वानंद और राहुल रॉय का नाम लिया है। यह बयान जाफराबाद हिंसा के सिलसिले में लिया गया है। पुलिस के अनुसार जाफराबाद से ही दंगों की शुरुआत हुई थी। इन तीनों पर गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। गलती से फातिमा ने बताया कि भीड़ साजिश के तहत बढ़ने लगी थी उमर खालिद, चंद्रशेखर रावण, योगेंद्र यादव, सीताराम येचुरी, वकील महमूद पराठा समेत इस भीड़ को भड़काने और जुटाने के लिए पहुंचे थे। इस चार्जशीट के अनुसार इन तीनों ने बताया, “प्रदर्शन करना आपका लोकतांत्रिक अधिकार है बाकी नेताओं ने सी ए ए और एन आर सी को मुस्लिम विरोधी बताकर समुदाय में असंतोष को हवा दी। “