लगातार भारत सरकार चीन के विदेश मंत्रियों से संपर्क करके सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रही है। रूस में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बातचीत के दौरान लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने की सहमति भी बन गई है। लेकिन दोनों पक्ष की ओर से जारी संयुक्त बयान से ये साबित नहीं होता है कि चीनी सेना अप्रैल वाली यथास्थिति कायम करेगी। जब तक ऐसा नहीं हो जाता तब तक चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
हालांकि यह अच्छा हुआ कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री के समक्ष दो टूक ढंग से यह स्पष्ट कर दिया है कि, ” भारत तब तक पीछे नहीं हटेगा जब तक चीनी सेना पहले वाली स्थिति में नहीं लौटेगी।” उन्होंने यह कहने में भी संकोच नहीं किया कि “सीमा रेखा पर शांति कायम हुए बगैर रिश्ते नहीं सुधर सकते।” और यह चीन ही है जिसने सीमा संबंधी समझौतों का उल्लंघन कर विवाद खड़ा किया है। चीन से उसी की भाषा में बात करने की जरूरत है। वैसे तो चीन ने सदैव ही अपने पड़ोसी देशों को अपने प्रभुत्व के दम पर दबाना चाहा है तो वहीं चीन भारत की ओर लगातार शत्रुता की नजरों से देख रहा है।
लेकिन दूसरी तरफ भारत में भारत की सरकार को लगातार कोसने के लिए कांग्रेस की ओर से आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है कांग्रेस लगातार मोदी सरकार पर हमले करती रही है कि मोदी की नाकामियों की वजह से चीन इतना आक्रमक रुख अपना चुका है। लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी कभी भी अतीत पर नजर नहीं डालते क्योंकि यदि वे अतीत पर नजर डालेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि चीन विवाद केवल और केवल कांग्रेस का दिया हुआ एक बड़ा अध्याय है। दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार यदि चीन भारत के लिए सरदर्द है तो इसका सबसे बड़ा कारण है तिब्बत का उसके कब्जे में आ जाना। यह पंडित नेहरू की गलतियों के कारण हुआ भारत और चीन की सीमा तो कभी मिल ही नहीं सकती थी।
दोनों देशों के बीच तिब्बत स्वतंत्र देश के रूप में था। लेकिन जब चीन ने आक्रमण कर उस पर कब्जा किया तो नेहरु ने मौन रहना बेहतर समझा और वह भी तब, ज़ब तिब्बत सांस्कृतिक और सामाजिक रुप से भारत के बहुत करीब था तथा सदियों पुराने संबंध भारत के साथ तिब्बत ने बनाए थे। इसके बावजूद राहुल गांधी का सीधा निशाना देश की सरकार पर होता है, हालांकि शायद राहुल गांधी यह नहीं जानते कि उनके पूर्वजों के कारण भारत के लिए चीन एक बड़ी समस्या बना है। लगातार राजीव गांधी फाउंडेशन में चीन की ओर से की गई फंडिंग पर भी कांग्रेस और राहुल गांधी चुप रहते हैं। पिछले दिनों ग्लोबल टाइम्स ने अपने अखबार में छपा था कि कांग्रेस भारत की सरकार गिरने की कोशिश कर रही है।