इस समझौते को पीएम मोदी के लिए उनका आखिरी तोहफ़ा भी कहा जा सकता है। जापान QUAD का वह आखिरी सदस्य है, जिसके साथ भारत ने Logistics Support Agreement पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे जापान और भारत की सेनाओं को एक दूसरे के military bases का इस्तेमाल करने की छूट मिल जाएगी। शिंजों आबे के नेतृत्व में जापान ने चीन को एक बड़ा खतरा माना है। हाल ही में जापान के रक्षा मंत्री तारो कोनो भी चीन को जापान की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा घोषित कर चुके हैं। ऐसे में भारत के साथ यह सैन्य समझौता दिखाता है कि अपनी सुरक्षा को मजबूत करने और चीन पर दबाव बनाने के लिए ऐसे कदम उठा रहा है। भारत के लिए भी यह कदम इसीलिए अति-महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भारतीय नेवी आसानी से जापानी जल सीमा के आस पास और दक्षिण चीन सागर में आसानी से ऑपरेट कर पायेगी।
जापान और भारत के लिए सबसे बड़े खतरे की बात इसलिए है क्योंकि दोनों ही देश चीन के सबसे बड़े और सबसे ताकतवर दुश्मन हैं और दोनों ही देश उसके पड़ोसी हैं। बब-अल-मंदब स्ट्रेट के सामने जिबूती देश में जापान का एक सैन्य अड्डा है और अब भारत को वहाँ तक आसानी से पहुँच मिल जाएगी। इसी प्रकार जापान को भारत के अंडमान द्वीपों तक पहुँच मिल जाएगी जिसके बाद जापान और भारत ना सिर्फ मलक्का स्ट्रेट बल्कि बब-अल मंदब स्ट्रेट के मुहाने पर बैठ जाएँगे, जहां से दुनिया का करीब 50 प्रतिशत ट्रेड होकर गुजरता है।
Pained to hear about your ill health, my dear friend @AbeShinzo. In recent years, with your wise leadership and personal commitment, the India-Japan partnership has become deeper and stronger than ever before. I wish and pray for your speedy recovery. pic.twitter.com/JjziLay2gD
— Narendra Modi (@narendramodi) August 28, 2020
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिंजों आबे के बीच बेहद गहरी दोस्ती रही है। जैसे ही आबे की खराब सेहत के बारे में पीएम मोदी को पता चला था, तो तुरंत उन्होंने उनके नाम एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा था – “मेरे प्यारे दोस्त शिंजो आबे आपकी खराब सेहत के बारे में सुनकर दुख हुआ। हाल के सालों में आपकी कुशल लीडरशिप और पर्सनल कमिटमेंट के चलते भारत-जापान की पार्टनरशिप पहले से कहीं ज्यादा गहरी और मजबूत हुई है। मैं आपके जल्द स्वस्थ्य होने की कामना और प्रार्थना करता हूं । दोनों नेताओं की बेहद आकर्षक केमिस्ट्री देखने को मिलती रही है। वर्ष 2015 में शिंजों आबे भारत की यात्रा पर आए थे, तो पीएम नरेंद्र मोदी उन्हें गंगा आरती के दर्शन कराने वाराणसी ले गए थे। दोनों नेताओं ने तब गंगा घाट पर साथ बैठकर काफी समय बिताया था।
インドとの物品役務相互提供協定に署名しました。これにより、自衛隊とインド軍との緊密な連携が促進され、日印両国が協力して、国際社会の平和と安全に積極的に貢献していく。その大きな礎となるものです。 pic.twitter.com/aTbtYMvcaB
— 安倍晋三 (@AbeShinzo) September 11, 2020
शिजों आबे ने कल के अपने ट्वीट में गंगा घाट पर पीएम मोदी के साथ बैठकर खिंचाई गयी फोटो को साझा भी किया। इसमें कोई शक नहीं है कि आबे के नेतृत्व में भारत-जापान के रिश्तों को नया आयाम मिला है। उनका पद छोड़कर जाना दोनों देशों के लिए पीड़ादायक हो सकता है लेकिन इससे दोनों देशों के रिश्ते कमजोर तो नहीं होंगे। हालांकि उनके द्वारा एकाएक इस्तीफे की घोषणा करने से जापान समेत भारत में भी कई लोगों को गहरा झटका तो लगा ही है। उनकी आंतों में बीमारी होने के कारण वे अपने देश की सेवा करने के लिए उपयुक्त हालत में नहीं हैं। उनके कार्यकाल के दौरान जापान ने अमेरिका के अलावा भी रणनीतिक रूप से अहम देश जैसे भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने सम्बन्धों को बढ़ावा दिया। उनकी जगह भरना वाकई उनके उत्तराधिकारी के लिए बेहद मुश्किल काम होगा।
Great thread, offering a glimpse of the robust India-Japan friendship as well as the strong potential of our partnership in the times to come.
The lovely photographs, shared by my good friend PM @AbeShinzo have brought back fond memories of our many interactions. https://t.co/vROSKis2CC
— Narendra Modi (@narendramodi) September 12, 2020