पहाड़ तोड़ कर सड़क बनाने वाले दशरथ मांझी की कहानी तो आप लोगों को याद ही होगी। अपनी पत्नी की याद में खुद की मेहनत से पहाड़ तोड़ कर सड़क बनाने वाले दशरथ मांझी ने अलग मिसाल पेश की थी। अब कुछ ऐसी ही मिसाल झारखण्ड के रहने वाले धनंजय मांझी ने कायम की है। धनंजय मांझी ने गर्भवती पत्नी को बैठाकर 1176 किमी स्कूटर चलाया ताकि पत्नी की परीक्षा न छूट जाए।
मांझी ने अपना सफर 29 अगस्त को शुरू किया और वह मध्यप्रदेश के गवलियर 30 अगस्त तक पहुंचे। धनंजय की पत्नी को डिप्लोमा कोर्स के दूसरे साल का पेपर देना था। यात्रा के लिए पैसे जुटाने के लिए धनंजय मांझी की पत्नी को अपने सोने के गहने गिरवी रखने पड़े थे। घर से निकलने से पहले दोनों ने अपने साथ एक रेनकोट रखा था।
धनंजय गुजरात में कुक थे लेकिन कोरोना की वजह से मजबूरन उन्हें घर लौटना पड़ा। इसी दौरान उनकी पत्नी की परीक्षा की तारीख आ गयी। परीक्षा केंद्र तक जाने के लिए दोनों ने पहले बस का पता किया। बस का किराया 15 हजार रुपये होने के चलते दोनों ने स्कूटर से मध्यप्रदेश जाने का फैसला किया। रास्ते में खाने और अन्य चीज़ो की परेशानी न हो इसके लिए धनंजय ने अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखवा दिए। जिसके बाद दोनों बिहार, उत्तर प्रदेश होते हुए एमपी तक पहुंचे।