सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक कदम उठाते हुए रामलला के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया है। जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने फैसले में कई अहम बातें कीं।
30 मिनट के फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया, आइये उस पर एक नज़र डालते हैं-
- बेंच के 5 जजों ने एकमत से अपना फैसला सुनाया।
- जमीन का किसी भी तरह से बंटवारा नहीं किया जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही किसी दूसरी जगह 5 एकड़ की जमीन देने का केंद्र और राज्य सरकार को आदेश दिया।
- 5 जजों की बेंच ने सर्व सम्मति से यह फैसला सुनाया कि विवादित जगह पर ही राम मंदिर का निर्माण किया जाये।
- केंद्र सरकार को तीन महीने में मंदिर के लिए एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया।
- किसी धर्म की आस्था और विश्वास के चलते यह फैसला नहीं लिया गया है, यह केवल तथ्यों पर आधारित है।
- शिया वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया गया।
- कोर्ट ने कहा हिंदू अयोध्या को राम जन्म स्थल मानते हैं।
- जजों ने माना कि 1949 में विवादित स्थल पर दो मूर्तियों की स्थापना की गई थी।
- राम चबूतरा और सीता रसोई में हिंदू पूजन के सबूत मिले थे।
- विवादित स्थल को लेकर हिंदूओं की आस्था गलत होने का कोई सबूत नहीं मिला।
- एएसआई ये नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई।
- एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद या ईदगाह का ज़िक्र नहीं किया।
- मस्जिद का निर्माण खाली स्थान पर नहीं किया गया था।
- एएसआई ने विवादित जगह पर मंदिर होने के सबूत पेश किए हैं।
- चीफ जस्टिस ने कहा – पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता।
- अयोध्या में 12वीं शताब्दी के मंदिर होने के सबूत मिले हैं।
- अयोध्या ही राम की जन्मभूमि है, इस बात का किसी ने विरोध नहीं किया।
- सुप्रीम कोर्ट के अनुसार बाबर के समय में ही मीर बाकी ने वहां मस्जिद बनवाई थी।
- मुस्लिम गवाहों ने माना दोनो पक्ष वहां पूजा करते थे – चीफ जस्टिस।
- एक समय पर वहां हिंदू पूजन और नमाज साथ-साथ हुआ करती थी।
- 18वीं शताब्दी तक नमाज पढ़ने के कोई सबूत नहीं मिले।
- मस्जिद का ढांचा गिराना क़ानून का उल्लघंन था यह भी कोर्ट ने स्वीकार किया।