हमारा भारत देश महापुरुषों की जन्मभूमि है और यहां पर प्रत्येक समय में कोई न कोई महापुरुष जन्म लेता है। बहुत सारे लोग हमारे यहां ऐसे भी जन्मे हैं जिन्होंने समाज के कल्याण के लिए कार्य किया है। आप सभी ने दशरथ मांझी का नाम तो सुना ही होगा जिन्होंने 20 किलोमीटर का पहाड़ एक छेनी और हथौड़ी की चोट से तोड़ डाला। आज हम बात कर रहे हैं बिहार के दूसरे दशरथ मांझी की। जिनका नाम है लोंगी भुइयां।
इन्होने भी दशरथ मांझी के तरह 20 साल में 5 किलोमीटर लंबी, 4 फीट चौड़ी तथा 3 फीट गहरी नहर की खुदाई कर दी। इन्हीं के प्रयास के कारण अब किसानों के खेतों तक पानी पहुंच रहा है। लोंगी कहते हैं कि वह अकेले हाथ में कुदाल व खंती लेकर निकल पड़ते थे। जब खुदाई शुरू की तब लोगों ने उनका मजाक उड़ाया। लोग उन्हें पागल कहने लगे लेकिन उन्होंने इसकी कोई परवाह नहीं की।
लोंगी बताते हैं कि उन्हें अपने गांव के युवाओं का शहर की ओर पलायन अच्छा न लगा। इसीलिए उन्होंने 20 साल पहले इस पलायन से दुखी होकर 2001 में नहर खोदने का निश्चय किया। उन्होंने देखा कि जहां मवेशी पानी पीने जाते हैं वहां पर बहुत बड़ा जल का स्रोत है। यहां से नहर की खुदाई करके अपने खेतों तक पानी ले जाया जा सकता। अब इस नहर से आने वाले पानी को जमा करने के लिए एक बड़ा सा मेड़ बना दिया गया है जिसका नाम लोंगी नहर रखा गया है। मुखिया विशुपत सिंह का कहना है कि लोंगी नहर पर और काम के लिए सरकारी मदद मिलने की कोशिश कर रहे हैं।
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