पिछले दिनों भारत सरकार ने 100 से ज्यादा रक्षा उत्पादों पर रोक लगाई थी। जिन्हें भारत दूसरे देशों से खरीदा जाता था। यह कहा गया था कि अब भारत इन उत्पादों को अपने देश में ही निर्मित करेगा और अपने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा। आज डीआरडीओ के चेयरमैन सतीश रेड्डी ने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने पर जोर दिया और रविवार को उत्तराखंड पहुंचे। उत्तराखंड पहुंचकर उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की।
उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं? इस पर चर्चा की। इसके अलावा त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर उन्होंने उत्तराखंड में रक्षा से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देने पर भी बात की। इसके साथ वे यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान भी पहुंचे। जहां पर उन्होंने उद्योगों को रक्षा सेक्टर से जोड़ने के लिए आवाहन किया। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए हम सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की उपस्थिति में उन्होंने डीआरडीओ की लैब को उत्तराखंड सेजोड़ने के लिए उचित प्रयास करने पर भी जोर दिया। इस बैठक के दौरान राज्य के युवाओं को डीआरडीओ में प्रशिक्षण देने और इंजीनियरिंग के छात्रों को डीआरडीओ की देहरादून स्थित आईआरडीए समेत लैब में इंटर्नशिप करने पर भी सहमति बनी है। इस मौके पर मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार डॉ केस पवार, डीआरडीओ प्रमुख के प्रौद्योगिकी सलाहकार संजीव जोशी भी मौजूद रहे।
क्या है डीआरडीओ?
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है। यह संगठन भारतीय रक्षा मंत्रालय की एक आनुषांगिक ईकाई के रूप में काम करता है। वर्तमान में संस्थान की अपनी इक्यावन प्रयोगशालाएँ हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण इत्यादि के क्षेत्र में अनुसंधान में कार्यरत हैं। पाँच हजार से अधिक वैज्ञानिक और पच्चीस हजार से भी अधिक तकनीकी कर्मचारी इस संस्था के संसाधन हैं। यहां राडार, प्रक्षेपास्त्र इत्यादि से संबंधित कई बड़ी परियोजनाएँ चल रही हैं।
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