विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने लंबे अंतराल के बाद खराब स्वास्थ्य के कारण अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी हैं। शिंजो आबे के यूं अचानक इस्तीफे के बाद जापान के साथ अन्य देशों में भी राजनीतिक हलचल बढ़ने वाली है। अगले चुनाव तक किसी वरिष्ठ नेता को जापान का पीएम नियुक्त किया जा सकता है। शिंजो आबे के रहते भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के रिश्ते बेहद मजबूत थे लेकिन अब सवाल ये है कि शिंजो आबे के पीएम पद से हटने के बाद भारत और जापान के रिश्तों किस तरह के रहने वाले हैं?
भारत को जापान पर है पूरा भरोसा
भारत और जापान की दोस्ती आज तक किसी से छिपी नहीं है। दोनों देशों ने हर मोर्चे पर एक दूसरे का साथ दिया है। भारतीय पक्षकारों को भरोसा है कि मोदी और आबे ने पिछले छह वर्षों में भारत जापान रिश्तों में जो आयाम दिया है। उसे मौजूदा वैश्विक माहौल को देखते हुए जापानी पक्ष नजरअंदाज नहीं कर सकता। चीन के आक्रामक रवैये को चुनौती देने के लिए दोनों देशों ने रणनीतिक रिश्ते को गहरायी देने के लिए भी एजेंडा तैयार कर रखा है।
भारत के लिए सबसे अहम रहे आबे
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान बाकि देशों के साथ रणनीतिक गहराई पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया लेकिन भारत के साथ उनका सबसे ज्यादा लगाव रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसे कभी कम नहीं होने दिया। अहमदाबाद की गलियों में पीएम मोदी के साथ रैली करने से लेकर वाराणसी में गंगा आरती तक का आबे व मोदी की दोस्ती की झलक हर किसी ने देखी। जाहिर है कि आने वाले समय में ये रिश्ता इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला।
भारत के करीबी हैं जापान के अगले PM
शिंजो आबे के बाद जापान के अगले पीएम के तौर पर Taro Aso का नाम सामने आ रहा है। नए नेता के चुने जाने से जापान के अन्य देशों के साथ राजनयिक स्तर पर थोड़ी फेरबदल हो सकती है लेकिन द्विपक्षीय संबंधो में भारत और जापान एक दूसरे के साथ रहने वाले हैं। उधर तारो आसो चीन के अपना कट्टर दुश्मन मानते हैं। भारत के साथ रिश्ते मजबूत करने को लेकर तारो आसो हमेशा आगे रहे हैं। आबे और आसो दोनों की विदेश नीतियाँ लगभग समान हैं। जो भविष्य में भारत और जापान की दोस्ती को अलग मुकाम देगा।
क्यों मजबूत माने जाते हैं जापान-भारत के रिश्ते?
सैन्य अभ्यास की बात हो या व्यापारिक और आर्थिक गतिविधियों को गति देने की, भारत और जापान ने हर मोर्चे पर एक दूसरे का साथ दिया है। जिस भारत के साथ न्यूकलीयर डील को लेकर जापान तैयार नहीं था उसे आने ने 2016 में पूरा किया। दोनों देश संयुक्त तौर पर अफ्रीका व दक्षिण एशियाई देशों में सड़क, रेल मार्ग, पोर्ट और एयरपोर्ट के विकास करने पर काम कर रहे हैं ताकि चीन के बढ़ते वर्चस्व को चुनौती दी जा सके। बांग्लादेश और श्रीलंका में दो एयरपोर्ट और दो बंदरगाह विकसित करना भी इसमें शामिल है। जापान के साथ बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट भी पीएम मोदी की बड़ी डील में शामिल है।
Image Source : Tweeted by @narendramodi