देश के पुरुषों पर सदैव यह आरोप लगता रहा है कि उन्होंने महिलाओं को आगे बढ़ने नहीं दिया। आज महिला समानता दिवस के मौके पर हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि भारत में महिलाओं की स्थिति क्या है?
क्यों मनाया जाता है महिला समानता दिवस?
न्यूजीलैंड दुनिया का पहला देश है, जिसने 1893 में ‘महिला समानता’ की शुरुवात की। अमरीका में 26 अगस्त 1920 को 19वें संविधान संशोधन के माध्यम से पहली बार महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। इसके पहले वहाँ महिलाओं को द्वितीय श्रेणी नागरिक का दर्जा प्राप्त था। महिलाओं को समानता का दर्जा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष करने वाली एक महिला वकील बेल्ला अब्ज़ुग के प्रयास से 1971 से 26 अगस्त को ‘महिला समानता दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा।
भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी !
भारतीय सेना में कुल 1400000 जवान हैं। इनमें 0.7% महिलाएं हैं। आर्मी में इनकी हिस्सेदारी आधा फ़ीसद तक सिमट गई है। महिलाओं की सबसे ज्यादा 1.3% हिस्सेदारी एयरफ़ोर्स में है। सैन्य अधिकारियों की यदि बात की जाए तो आर्मी अफसर के पद पर 4% महिलाएं हैं। नेवी में अफसर के पद पर करीब 7% महिलाएं हैं और वही एयर फोर्स में अधिकारीयों में महिलाओं की हिस्सेदारी 13% तक है।
सिविल सर्विसेस में महिलाओं की भागीदारी
हाल ही में 2019 की सिविल सर्विसेस के नतीजे यदि हम देखें तो कुल 829 कैंडिडेट सेलेक्ट हुए थे। जिनमें से 197 यानी कि 23.7% महिलाएं हैं और पिछले साल 2015 में जो कैंडिडेट सिलेक्ट हुए थे, उस में 19.7 महिलाएं थी जबकि 2017 में 24.1% महिलाएं थी।
भारत की संसद में महिलाओं का योगदान
आज भारत की संसद में उतनी महिलाएं नहीं हैं, जितनी वास्तव में होनी चाहिए थी। वर्तमान राज्यसभा और लोकसभा में महिलाओं की उपस्थिति 92 है, जो कि 12% है जबकि उनका प्रतिशत 33% होना चाहिए था।
देश के 100 अमीर लोगों में सिर्फ 5 महिलाएं शामिल हैं। जिनमें जिंदल स्टील की सावित्री जिंदल देश की सबसे अमीर महिला हैं और किरण मजूमदार शा दूसरे नंबर पर आती हैं।