बेटे के लिए पिता की अहमियत कितनी ज्यादा होती है इसे शायद शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मध्यप्रदेश में रहने वाले एक पिता और बेटे ने एक बार फिर इस कहावत को जिंदा कर दिया है। मध्य प्रदेश के धार जिले के एक गांव का 38 वर्षीय गरीब और अनपढ़ पिता शोभाराम ने अपने बेटे की पढ़ाई खराब होने के डर से 105 किलोमीटर की दूरी साईकल से ही तय कर ली।
दरअसल मध्यप्रदेश में इस समय ‘रुक जाना नहीं’ अभियान की शुरुआत की गयी है जिसके तहत 10वीं और 12वीं के छात्रों को बोर्ड परीक्षा में फेल होने के बाद दोबारा मौका दिया जा रहा है। इसी अभियान के चलते मंगलवार को गणित का पेपर रखा गया था। मनावर तहसील के रहने वाले आशीष को 10वीं के तीन पेपर की परीक्षाएं देनी थी लेकिन एग्जाम सेंटर आशीष के घर से करीब 105 किलोमीटर दूर था।
कोरोना के चलते राज्य में बस सुविधा पर भी रोक लगी हुई थी। इसी को देखते हुए शोभाराम साइकिल से ही अपने बेटे को परीक्षा दिलवाने के लिए निकल पड़े। इतना ही नहीं, शोभाराम परीक्षा शुरू होने से 15 मिनट पहले से परीक्षा केंद्र पहुँच गए थे। अब वह अपने बेटे के साथ तीन दिनों तक यही रुकेंगे। खाने की कोई दिक्कत न हो इसके लिए उन्होंने 3 दिनों के राशन का भी इंतजाम किया है।
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