भारत में समय लगातार बाढ़ का कहर जारी है। बहुत सारे प्रदेशों में कई नदियां उफान पर आ चुकी हैं। भारत का संपन्न शहर सूरत जिसे स्वच्छता के मानक पर दूसरे नंबर का पुरस्कार मिला था। लेकिन कुछ दिनों बाद जब सूरत में बारिश हुई तो सूरत का बहुत बड़ा हिस्सा जल में डूब गया और सीवर का पानी सड़कों और घरों में घुस चुका था। तब की गर्मी के बाद जब हर कोई मानसून की चाहत करता है। तब सूरत की आधी आबादी मानसून को कोस रही है। अगर आप जानने का प्रयास करेंगे ऐसा क्यों होता है कि बारिश और बाढ़ के बाद शहर का पानी शहर की सड़कों पर बहता रहता है। वह बीमारियों को उत्पन्न करता है। तो आप को जानना होगा भारत के शहरों का क्या है हाल?
1. स्वच्छता में प्रथम आने वाले शहर इंदौर की सिर्फ एक तिहाई हिस्से में पड़ी है सीवर लाइन।
2. लखनऊ में शहरी बुनियादी ढांचा पुराने जमाने का होने के कारण सीवर लाइनें ही नहीं है।
3. उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों से निकलने वाले मल मूत्र का केवल 10% ट्रीटमेंट होता है।
4. देश के 50% शहरों में सीवर लाइन ही नहीं है।
5. उत्तर प्रदेश के सिर्फ 30% शहरों में सीवर लाइन।
6. भारत में 80% मल मूत्र नदियों जलाशयों झीलों और तालाबों में बहा दिया जाता है।
इन सभी बिंदुओं को समझने के बाद आप ही जान गए होंगे कि भारत की आजादी के बाद भारत के शहरों का निर्माण करने वाले लोगों ने भारत के शहरों का निर्माण आने वाले भविष्य को देखते हुए नहीं किया था। बल्कि वर्तमान की व्यवस्था को देखकर किया था। भारत में जिस तरह जनसंख्या का स्तर बढ़ रहा है ठीक उसी प्रकार स्वच्छता की कमी भी लगातार बढ़ती जा रही है।
हल्की सी बारिश में भी डूब जाती है दिल्ली की नाव
अगर हम राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की बात करें तो दिल्ली की हालत बहुत बुरी हो चुकी है यहां होने वाली सालाना 800 मिमी बारिश भी दिल्ली नहीं झेल पाती। बारिश के पानी की निकासी के लिए नालियां तक नहीं है। सड़कों के अंडरपास में वाहनों के डूब जाने से मौत का होना आम हो गया है। मानसून सीजन में इतनी बरसात होती है कि दिल्ली की आधी से ज्यादा सड़कें जलमग्न हो जाती हैं। पूरी की पूरी बसें बारिश और सीवर के पानी में डूबी हुई दिखाई देती है। हालांकि नोएडा और एनसीआर के कुछ अन्य हिस्सों में इंतजाम कुछ अच्छे हैं।
उत्तर प्रदेश को है पुनर्निर्माण की आवश्यकता
यदि हम जनसंख्या के अनुसार सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें उत्तर प्रदेश की !.. तो उत्तर प्रदेश का ढांचा पुराने जमाने के द्वारा तैयार किया गया है। इसीलिए वहां पर सीवर लाइन नहीं है। उत्तर प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में खुले नालों का इंतजाम है। शहर में जब कभी भी तेज बारिश होती है तो इन खुले नालों का पानी सड़क पर आ जाता है और हजारों बीमारियों को जन्म देता है। प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस जिसमें कुल 1596 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन की जरूरत है, लेकिन अब तक केवल 805 किलोमीटर की सीवर लाइन ही बन सकी है।