बॉलीवुड में प्रतिदिन कोई न कोई नई घटना घटती रहती है। वर्तमान में बॉलीवुड अभिनेत्री तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप के घर आईटी की रेड जारी है। तीसरे दिन भी आईटी के अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हैं। क्वांट टैलेंट मैनेजमेंट के यहां काम करने वाले लोगों से पूछताछ की जा रही है। पिछली रात दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह की पूर्व मैनेजर जया शाह को भी तलब किया गया था। इस कार्रवाई को लेकर शिवसेना लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है। शिवसेना का कहना है कि ताप्सी और अनुराग केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हैं इसीलिए उनके साथ ऐसा किया जा रहा है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस के द्वारा गुरुवार को बताया गया है कि यह मामला 370 करोड रुपए की चोरी का है। यह चोरी शेयर ट्रांजैक्शन तथा फर्जी खर्चों दिखाकर की गई है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के द्वारा बुधवार सुबह 8:00 बजे से ही मुंबई-पुणे समेत कुल 28 ठिकानों पर रेड की गई है। आयकर अधिकारियों के द्वारा क्वान तथा सेलिब्रिटीज के बीच हुए एग्रीमेंट को चेक किया जा रहा है। इन सभी कॉन्ट्रैक्ट में क्वान ने कितना कमीशन खाया है इस पर भी आयकर की नजर है।
सामना में किया गया सरकार का विरोध
सामना में सरकार पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने लिखा,”देश की राजनीतिक तस्वीर साफ होती जा रही है, अधिक गड़बड़ाती जा रही है या पेचीदा होती जा रही है? केंद्र सरकार के खिलाफ बोलना देशद्रोह नहीं है, ऐसा मत सर्वोच्च न्यायालय ने रखा और उसी दौरान मोदी सरकार के खिलाफ बोलने वाले कलाकार और सिने जगत के निर्माता-निर्देशकों पर ‘इनकम टैक्स’ के छापे पड़ने लगे हैं। इनमें तापसी पन्नू, अनुराग कश्यप, विकास बहल और वितरक मधु मंटेना का नाम प्रमुख है। मुंबई-पुणे में 30 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे गए। तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप खुलकर अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं। सवाल इसलिए पैदा होता है कि हिंदी सिने जगत का व्यवहार और काम-धाम स्वच्छ और पारदर्शी है, अपवाद केवल तापसी और अनुराग कश्यप का है। सिने जगत की कई महान उत्सव मूर्तियों ने किसान आंदोलन के संदर्भ में विचित्र भूमिका अपनाई।
उन्होंने किसानों को समर्थन तो नहीं दिया, उल्टे दुनियाभर से जो लोग किसानों को समर्थन दे रहे थे उनके बारे में इन उत्सव मूर्तियों ने कहा कि यह हमारे देश में दखलंदाजी है। लेकिन तापसी और अनुराग कश्यप जैसे गिने-चुने लोग किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े रहे। उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है। 2011 में किए गए एक लेन-देन के संदर्भ में ये छापे पड़े हैं। इन लोगों ने एक ‘प्रोडक्शन हाउस’ बनाया और उसके टैक्स से संबंधित यह मामला है। जिस हिसाब से इनकम टैक्स ने छापे मारे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कहीं कुछ गड़बड़ तो है ही। लेकिन, छापे मारने के लिए या कार्रवाई करने के लिए सिर्फ इन्हीं लोगों को क्यों चुना गया? तुम्हारे उस ‘बॉलीवुड’ में रोज जो करोड़ों रुपए उड़ रहे हैं, वो क्या गंगाजल के प्रवाह से आ गए? लेकिन कहीं-न-कहीं फंसने पर सरकार के इशारों पर नाचना और बोलना होता आया है। इनमें कुछ लोग स्वाभिमानी और अलग ही मिट्टी के बने होते हैं।”