बाबरी विध्वंश मामले में 32 आरोपियों को किया बरी, वामपंथियों और अल्पसंख्यक नेताओं का उठा कोर्ट से विश्वास

बाबरी मस्जिद विध्वंस के सभी 32 आरोपियों को लखनऊ सीबीआई कोर्ट ने बरी कर दिया है। कोर्ट ने माना है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस एक आकस्मिक घटना थी। हालांकि कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष और वामपंथी दलों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए इस फैसले के दिन को काला दिन करार दिया है।

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32 accused in Babri demolition case acquitted, leftists and minority leaders raised confidence in court

कई सालों की कानूनी लड़ाई और संघर्ष के बाद अयोध्या में रामलला विराजमान हो चुके हैं। 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमि पूजन कर राम मंदिर निर्माण की नींव रखी थी। अयोध्या में सालों बाद विशाल स्तर पर दशहरा और दिवाली का आयोजन किया जाएगा। अयोध्या में इस समय माहौल पूरा रंगमय है। लेकिन बुधवार को आए एक फैसले ने अयोध्या में एक पक्ष और मंदिर निर्माण की खुशी को चार चांद लगा दिए। अयोध्या मसले पर 28 साल बाद बाबरी विध्वंस से जुड़ा फैसला आया और इसमें सभी 32 अभियुक्तों को बरी कर दिया गया है।

बुधवार को देश और दुनिया की निग़ाहें इस अहम फ़ैसले पर लगी थी। बुधवार की सुबह अचानक बढ़ी सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक चौकसी ने अयोध्या के माहौल को एक ही दिन में बदल दिया। दोपहर 12:00 बजे लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि 1992 में बाबरी विध्वंस में शामिल सभी 32 आरोपी पूरी तरह से निर्दोष हैं। इस फैसले के बाद अयोध्या की सड़कें पहले जैसी गुलजार तो दिखाई दी हीं साथ ही लखनऊ और दिल्ली में भी इसका जश्न देखने को मिला। सभी 32 आरोपियों ने इसे अपनी जीत बताई तो वहीं वामपंथी दल और दूसरा पक्ष कोर्ट के इस फैसले से नाराज़ दिखाई दिया। बाबरी मस्जिद के पक्षदार रहे इक़बाल अंसारी ने कोर्ट के इस फैसले को मानने तक से इंकार कर दिया। इसके अलावा वामपंथी दल भी बाबरी मस्जिद के पक्षदारों के साथ इस मामले में खड़ा दिखाई दिया।

कोर्ट ने आरोपियों को किया बरी

बाबरी विध्वंस के सभी 32 आरोपियों को लखनऊ CBI कोर्ट ने निर्दोष पाते हुए बरी कर दिया। विशेष अदालत के न्यायाधीश एस के यादव ने अपने फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। हिंदुओं ने इसे कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला बताया। कोर्ट ने भी इस बात को माना कि बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराए जाने के दौरान आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।

‘पूरी दुनिया ने देखा उस दिन क्या हुआ’

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट के इस फैसले के बाद जब बाबरी मस्जिद के पक्षधार से इस बारे में बात की गयी तो उन्होंने सीबीआई कोर्ट के इस फैसले से नाराजगी जताई। इक़बाल अंसारी ने कहा, ‘जब कोर्ट को लगता है कि मस्जिद गिराने में कोई दोषी नहीं है, तो हम क्या कह सकते हैं। ये अलग बात है कि न सिर्फ़ अयोध्या के लोगों ने बल्कि पूरी दुनिया ने देखा है कि उस दिन क्या हुआ था। मुस्लिम पक्ष के अन्य लोगों कहना है कि जो लोग बाबरी विध्वंस में दोषी पाए गए थे उन्हें ही इस फैसले की उम्मीद नहीं रही होगी। वहीं अन्य लोगों का कहना है कि अदालत सिर्फ़ एक दिन की सज़ा दे देती, एक रुपये के जुर्माने की सज़ा दे देती तो भी हम लोगों को लगता कि हां, कुछ न्याय हुआ है।

वामपंथियों का भी कोर्ट से उठा विश्वास?

लखनऊ सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद जिस तरह से कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ तर्क दिए जा रहे हैं उससे यह स्पष्ट दिखाई देता है की वामपंथी दलों की सोच वाले लोगों का अब कोर्ट से ही विश्वास उठ गया है। AIMIM पार्टी के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Demolition Verdict) मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे अदालत की तारीख का काला दिन करार दिया। तो वहीं बॉलीवुड एक्ट्रेसेस ने भी कोर्ट के खिलाफ तंज कसा।

ओवैसी ने कहा, ”मैं बतौर भारतीय मुस्लिम आज अपमान, शर्म और असहाय महसूस कर रहा हूं। बिल्कुल वैसा ही जैसा 1992 में युवावस्था में किया था।” तो वहीं बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”बाबरी मस्जिद खुद ही गिर गया था।” स्वरा भास्कर के अलावा ऋचा चड्ढा भी इस फैसले के खिलाफ खड़ी नजर आईं। ऋचा ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”इस जगह से ऊपर भी एक अदालत है, यहां देर है अंधेर नहीं।”

क्या हुआ था उस दिन?

6 दिसंबर 1992 के दिन अयोध्या में जुटे लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया था। कारसेवकों की भीड़ ने अयोध्या की ओर कूंच 25 सितंबर 1990 को आडवाणी ने सोमनाथ से अपनी रथ यात्रा के बाद ही शुरू कर दिया था। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने 6 दिसंबर 1992 को विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण करने का ऐलान कर दिया। पूरी अयोध्या ‘मंदिर वहीं बनायेंगे’, ‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो’ के नारों से अयोध्या गूंजने लगी थी। देखते ही देखते लाखों कारसेवकों की भीड़ ने बाबरी मस्जिद को विध्वंस कर दिया। उस दौरान भाजपा के नेता- लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, साध्वी ऋतम्भरा, उमा भारती, वीएचपी के अशोक सिंघल, सब परिसर के नज़दीक जमा थे। देशभर में दंगों की आग फैलते देख केंद्र को उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ गया। जिसके बाद साल 1993 में सरकार ने विवादित स्थल के आसपास 67 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर लिया। इस घटना पर लिब्राहन आयोग की कार्यवाही बैठाने के बाद लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत 32 लोगों को आरोपी पाया गया। 28 साल चली लंबी कार्यवाही के बाद अब इन सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है।

कौन थे बाबरी विध्वंस के 32 आरोपी?

इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साघ्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी थे।

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