कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत में 21 नहीं 49 दिन का लॉकडाउन है जरूरी

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चीन के वुहान शहर से शुरू हुए कोरोना वायरस का संक्रमण देश और दुनियाभर में बढ़ता जा रहा है। भारत समेत कई देशों की सरकारें और स्वास्थ्य एजेंसिया इससे निपटने की हर संभव कोशिश कर रही हैं और इसी को लेकर कई देशों में लॉकडाउन घोषित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में भी 15 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन चल रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच एक ओर वैज्ञानिक इसकी जांच किट से लेकर इसकी दवा और वैक्सीन तैयार करने में लगे हैं तो वहीं दूसरी ओर इसके लक्षणों से लेकर इसे रोकने के तरीकों को लेकर भी दुनिया भर के शोधकर्ता रिसर्च में लगे हैं। इस बीच कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कोरोना से निपटने के लिए 49 दिन का लॉकडाउन जरूरी बताया है।

कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भारतीय मूल के शोधकर्ताओं ने गणितीय मॉडल के साथ एक रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया है, जिसमें कहा गया है कि कोरोना संकट से निपटने के लिए भारत में पूर्ण रूप से 49 दिन के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लगाना जरूरी है। इसके विकल्प के तौर पर दो महीनों में समय-समय पर छूट देने के साथ लगातार लॉकडाउन करने की बात कही गई है। शोधकर्ताओं ने भारत को कोरोना से मुक्त होने के लिए इसे आवश्यक बताया है। कैंब्रिज विश्वविद्यालय में व्यावहारिक गणित और सैद्धांतिक भौतिकी विभाग के राजेश सिंह की मदद लेकर रणजय अधिकारी ने यह रिसर्च पेपर लिखा है, जिसका शीर्षक है- ‘एज स्ट्रक्चर्ड इम्पैक्ट ऑफ सोशल डिस्टेंसिंग ऑन द कोविड-19 एपिडेमिक इन इंडिया’।

इस रिसर्च पेपर में कहा गया है कि भारत में लगाया गया 21 दिन का लॉकडाउन उतना प्रभावी नहीं होगा। यह नाकाफी साबित हो सकता है और ऐसे में कोरोना फिर से उभर सकता है। देश में कोरोना वायरस को लेकर सोशल डिस्टेंसिंग के प्रभाव के आकलन पर इसे पहला मॉडल बताया जा रहा है। इसमें भारतीय आबादी की उम्र और सामाजिक संबंध के स्ट्रक्चर को भी शामिल किया गया है। इस रिसर्च स्टडी में सोशल डिस्टेंसिंग उपायों जैसे कि कार्यस्थल में गैर मौजूदगी, स्कूल व कॉलेज बंद करने, लॉकडाउन की अवधि के साथ उनके प्रभावों का आकलन किया गया है। शोधकर्ता ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण का अध्ययन करने के लिए सर्वे और बेजन इम्प्यूटेशन से हासिल कॉन्टैक्ट मैट्रिसेज के साथ एक आयु-संरचित एसआईआर मॉडल का प्रयोग किया है।

शोधकर्ताओं के अनुसार चूंकि अबतक टीकाकरण के लिए वैक्सीन तैयार नहीं है, ऐसे में कोरोना वायरस को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही कारगर उपाय है। रिसर्च पेपर में शोधकर्ताओं का कहना है कि सोशल कॉन्टैक्ट की भारत में जो संरचना है, वह गंभीर रूप से संक्रमण के विस्तार को प्रभावित करती है। बड़े पैमाने पर सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए ही इन संरचनाओं पर नियंत्रण हो सकता है और कोरोना वायरस को नियंत्रित करने या खत्म करने के लिए यही सबसे प्रभावी तरीका साबित होगा।

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